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हरियाणा में बाजरे की खेती 27 करोड़ की परियोजना, बजट भाषण में सीएम ने दी जानकारी

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हरियाणा

कृषि एवं किसान कल्याण की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए वर्ष 2023-24 के बजट में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों को 8,316 करोड़ रुपये आवंटित करने करने की घोषणा की गई है। यह चालू वर्ष के संशोधित अनुमानों से 19 प्रतिशत की वृद्धि है। हरियाणा विधानसभा बजट सत्र के दौरान आज मनोहर लाल वर्ष 2023-24 के बजट को प्रस्तुत करते हुए कहा कि कृषि और संबद्ध गतिविधियों का राज्य की अर्थव्यवस्था में 18.5 प्रतिशत योगदान है। 

भारत के आर्थिक विकास में हरियाणा के किसानों का योगदान सभी जानते हैं। हरियाणा एकमात्र ऐसा राज्य है, जो किसानों को 14 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर आश्वासन देता है। उन्होंने कहा कि मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पर 9 लाख से अधिक किसान नियमित रूप से पंजीकरण कराते हैं। मेरी फसल-मेरा ब्यौरा को व्यापक रूप से अपनाने से राज्य के लिए मेरा पानी-मेरी विरासत, धान की ‘बीज से सीधी बिजाई’ के लिए वित्तीय सहायता, तिलहन और दलहनों को बढ़ावा देने और बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम होने पर सहायता देने के लिए ‘भावांतर भरपाई’ जैसी कई अनूठी पहल करना संभव हुआ है।

वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले दो वर्षों में, सरकार ने कृषि क्षेत्र में क्रियान्वित  की जा रही विभिन्न योजनाओं के लिए 428 करोड़ रुपये के अलावा किसानों की फसलों की खरीद के 45,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे उनके खातों में जमा करवाई है। उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि कृषि में आय बढ़ाने के हमारे प्रयासों को मान्यता देते हुए भारतीय कृषि और खाद्य परिषद द्वारा हरियाणा को सर्वश्रेष्ठ राज्य कृषि व्यवसाय पुरस्कार-2022 से सम्मानित किया गया।

मनोहर लाल ने कहा कि भारत सरकार के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटे अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। हरियाणा सरकार राज्य में मोटे अनाजों की कास्त और खपत को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित कर रही है। क्लस्टर प्रदर्शन, संकर बीजों के वितरण, प्रमाणित बीज उत्पादन, एकीकृत पोषक तत्व और कीट प्रबंधन से बाजरे की खेती को बढ़ावा देने के लिए 27 करोड़ रुपये की परियोजना तैयार की जा रही है।

 
उन्होंने कहा कि बाजरे की उत्पादकता में सुधार के लिए चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा जिला भिवानी के गोकलपुरा में एक पोषक-अनाज अनुसंधान केंद्र स्थापित किया जा रहा है, जो वर्ष 2023 में चालू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा विभिन्न उत्पादों के माध्यम से बाजरे की खेती की उत्पादकता, इसकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग में सुधार करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2023-24 में प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए 20 हजार एकड़ का लक्ष्य निर्धारित करने का प्रस्ताव है, जिसमें से 6,000 एकड़ पर प्रदर्शन किया जाएगा। कुरुक्षेत्र में गुरुकुल और करनाल के घरौंडा में दो प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए गए हैं। वर्ष 2023-24 में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा कृषि प्रबंधन एवं विस्तार प्रशिक्षण संस्थान, जींद और सिरसा के मंगियाना में तीन और प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव है।

उन्होंने कहा कि गत वर्ष प्राकृतिक खेती पर एक नए कार्यक्रम की घोषणा की गई थी। यह खुशी की बात है कि इस क्षेत्र के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन से योजना का क्रियान्वयन शुरू हो गया है। वर्ष 2022-23 में, 2238 किसानों की पहचान की गई और 5906 एकड़ में प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए सहायता प्रदान की गई जबकि गत वर्ष के बजट भाषण में निर्धारित 2500 एकड़ का लक्ष्य रखा गया था।

मनोहर लाल ने कहा कि सरकार उर्वरकों, कीटनाशकों के विवेकपूर्ण उपयोग, सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों के माध्यम से पानी का समुचित उपयोग, ड्रोन इमेजरी के माध्यम से फसल स्वास्थ्य निगरानी, मृदा स्वास्थ्य निगरानी, स्थानीय क्षेत्र की बीमारी, कीट निगरानी और सौर ऊर्जा का उपयोग करने के माध्यम से सटीक कृषि, जो जलवायु स्मार्ट कृषि की ओर अग्रसर होने में सक्षम बनाती है, पर बल दे रही है। इसके लिए परियोजना सिरसा जिले में शुरू की जाएगी और परिणामों के आधार पर इसे अन्य जिलों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। 

वित्त मंत्री ने कहा कि हरी खाद या ढैंचा की खेती मिट्टी के कार्बनिक पदार्थ को बढ़ाती है और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करती है। इसके लिए एक योजना शुरू करने का प्रस्ताव है, जिसके अंतर्गत किसान को ढैंचा की खेती के माध्यम से हरी खाद अपनाने के लिए सहायता दी जाएगी और सरकार 720 रुपये प्रति एकड़ की लागत का 80 प्रतिशत वहन करेगी और किसान को लागत का केवल 20 प्रतिशत योगदान देना होगा।

मनोहर लाल ने कहा कि कम पानी की खपत के लिए धान की सीधी बिजाई हेतु 4000 रुपये प्रति एकड़ की दर से वित्तीय सहायता दी जा रही है। खरीफ-2022 में, 72,000 एकड़ क्षेत्र को धान की सीधी बुवाई के तहत लाया गया और 29.16 करोड़ रुपये की राशि लाभार्थियों को दी गई। इससे राज्य में 31,500 करोड़ लीटर पानी की बचत हुई है। वर्ष 2023-24 में धान के अधीन 2 लाख एकड़ क्षेत्र को धान की सीधी बिजाई के तहत लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

वित्त मंत्री ने कहा कि उन्हें सदन को बताते हुए खुशी हो रही है कि राज्य के किसानों ने पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के आह्वान के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की है और राज्य के किसानों ने एक्टिव फायर लोकेशन (एएफएल) में पराली जलाने की घटनाओं में 48 प्रतिशत तक की कमी की है, जिसकी राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक रूप से सराहना हुई है।

उन्होंने कहा कि एक अनूठी पहल के तहत सरकार किसानों को प्रोत्साहन सहित निर्धारित सेवा क्षेत्रों में नामित एजेंसियों द्वारा धान की पराली की खरीद के लिए 1000 रुपये और पराली प्रबन्धन से सम्बंधित खर्चों को पूरा करने के लिए नामित एजेंसी को 1500 रुपये प्रति टन की सरकारी दर को अधिसूचित करेगी।

इसके अलावा, राज्य में थर्मल पावर प्लांट भी बिजली उत्पादन के लिए कोयले के साथ पेलेट के रूप में धान की पराली बायोमास का उपयोग करेंगे। पानीपत में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन द्वारा स्थापित 2जी-इथेनॉल संयंत्र चालू हो गया है और इथेनॉल उत्पादन के लिए धान की पराली का उपयोग करेगा।

मनोहर लाल ने कहा कि ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती से मृदा में उर्वरता बढ़ती है। राज्य सरकार का आने वाले सीजन में 1 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्र पर ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती करने के लक्ष्य का प्रस्ताव है। सरकार किसानों को ग्रीष्मकालीन मूंग की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सुनिश्चित करने का आश्वासन देती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मृदा लवणता और जलभराव की बढ़ती समस्या ने कई जिलों में कृषि गतिविधियों को प्रभावित किया है। वर्ष 2022-23 के लिए ऐसी भूमि के सुधार के लिए 25,000 एकड़ का लक्ष्य निर्धारित किया गया, जिसमें से 20,703 एकड़ क्षेत्र का सब-सरफेस और वर्टिकल ड्रेनेज टेक्नॉलिजी से सुधार किया गया, इस पर 29 करोड़ रुपये का परिव्यय हुआ है। वर्ष 2023-24 के लिए ऐसी 50,000 एकड़ भूमि के सुधार के लक्ष्य का प्रस्तावित है।

 
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य वर्ष 2030 तक फसल क्लस्टर विकास कार्यक्रमों, ताजे फल और सब्जियों के लिए आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करके, पैक हाउस की स्थापना, किसान उत्पादक संगठन के गठन के माध्यम से बागवानी के अधीन क्षेत्र को दोगुणा और बागवानी उत्पाद को तीन गुणा करना है।

इसके अलावा, बेहतर मूल्य प्राप्ति और गुणवत्ता में सुधार के लिए नीलामी के माध्यम से शहद का विपणन करने के लिए राज्य में मधुमक्खी पालकों की सुविधा के लिए सरकार एक शहद गुणवत्ता प्रयोगशाला स्थापित करने और शहद व्यापार नीति तैयार करने का प्रस्ताव करती है।

मनोहर लाल ने कहा कि राज्य में कई बागवानी फसलों के लिए स्थापित उत्कृष्टता केंद्र बागवानी में प्रोत्साहक और विकासात्मक गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं। वर्ष 2023-24 में, 3 नए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव है। इनमें से एक पंचकूला में पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट पर, दूसरा पिनगवां, नूंह में प्याज के लिए और तीसरा मुनीमपुर, झज्जर में फूलों के लिए स्थापित होगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि सोनीपत जिले के गन्नौर में हरियाणा अंतर्राष्ट्रीय बागवानी मंडी का निर्माण इस साल शुरू होने की संभावना है। हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड ने नई मंडियों के विकास और वर्तमान मंडियों के आधुनिकीकरण के लिए पहल की है। राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा 175 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 78.33 एकड़ भूमि पर पिंजौर में स्थापित सेब, फल और सब्जी मंडी का 1 अप्रैल से परिचालन शुरू करने की संभावना है।

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