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हरियाणा सरकार ने गन्ना किसानों को नए साल में दिया बड़ा तोहफा, सरकार ने गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य 372 रुपये प्रति क्विंटल किया

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हरियाणा सरकार

मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कुशल नेतृत्व में हरियाणा सरकार किसानों के उत्थान के लिए लगातार प्रयासरत है। चाहे किसानों की फसलों को हुए नुकसान की भरपाई हो या फसलों की अच्छी कीमत उपलब्ध कराना हो, सरकार हमेशा ही किसानों के साथ खड़ी है। 

इसी सोच का परिचय देते हुए सरकार ने पिराई सत्र 2022-23 के लिए गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) 362 रुपये प्रति क्विंटल से 372 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा दिया गया है। सरकार के इस फैसले से किसान काफी खुश हैं और इसके लिए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल का आभार जताया है।

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा सरकार हमेशा ही गन्ना किसानों को सबसे ज्यादा राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) देती आई है। वर्ष 2019-20 में हरियाणा में गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) 340 रुपये था जबकि इसी दौरान पंजाब में 310 रुपये, उत्तर प्रदेश में 325 रुपये और उत्तराखंड में 326 रुपये प्रति क्विंटल दिया जा रहा था। 

वहीं वर्ष 2020-21 में हरियाणा में गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) 350 रुपये था जबकि पंजाब में यह मूल्य 310 रुपये, उत्तर प्रदेश में 325 रुपये और उत्तराखंड में 326 रुपये प्रति क्विंटल था। इसी तरह, 2021-22 में प्रदेश में गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) 362 रुपये निर्धारित किया गया था। इस दौरान हरियाणा के पड़ोसी राज्य पंजाब में गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) 360 रुपये, उत्तर प्रदेश में 350 रुपये और उत्तराखंड में 355 रुपये प्रति क्विंटल रहा।

श्री मनोहर लाल ने बताया कि चीनी मिलों को गन्ने की कीमत का भुगतान करने में भी हरियाणा अन्य राज्यों से आगे है। जहां वर्ष 2020-21 में हरियाणा में पूरी पेमेंट की जा चुकी है, वहीं पंजाब और उत्तर प्रदेश में अभी भी देनदारी शेष है। इसी तरह 2021-22 की पेमेंट भी हरियाणा सरकार द्वारा की जा चुकी है, अब केवल पीडीसी की पेमेंट शेष है जो कि 17.94 करोड़ रुपये हैं जबकि इस पिराई सत्र में पंजाब की 37.04 करोड़ रुपये की देनदारी है। 

उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों को प्रोत्साहित करने एवं सहकारी चीनी मिलों को मजबूत करने के लिए प्रदेश सरकार लगातार काम कर रही है। सहकारी चीनी मिलों में एथनॉल संयंत्र स्थापित कर विविधता लाने, चीनी मिलों में बिजली सह-उत्पादन, जैव उत्पादों जैसे शीरा, खोई, प्रेस मड आदि का व्यावसायिक उपयोग करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

क्या आप जानते हैं?

• हरियाणा हमेशा ही गन्ना किसानों को सबसे ज्यादा मूल्य देता आया है। वर्ष 2019-20 में हरियाणा में गन्ने का मूल्य 340 रुपये था जबकि इसी दौरान पंजाब में 310 रुपये, उत्तर प्रदेश में 325 रुपये और उत्तराखंड में 326 रुपये प्रति क्विंटल दिया जा रहा था।

• वहीं वर्ष 2020-21 में हरियाणा में गन्ने का मूल्य 350 रुपये था जबकि पंजाब में यह मूल्य 310 रुपये, उत्तर प्रदेश में 325 रुपये और उत्तराखंड में 326 रुपये प्रति क्विंटल था।

• इसी तरह, 2021-22 में प्रदेश में गन्ने का मूल्य 362 रुपये निर्धारित किया गया था। इस दौरान हरियाणा के पड़ोसी राज्य पंजाब में 360 रुपये, उत्तर प्रदेश में 350 रुपये और उत्तराखंड में 355 रुपये प्रति क्विंटल रहा।

• पिराई सत्र 2022-23 के लिए गन्ने का मूल्य 362 रुपये प्रति क्विंटल से 372 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा दिया गया है।

• हरियाणा गन्ने की कीमत का भुगतान करने में भी अन्य राज्यों से आगे है। जहां वर्ष 2020-21 में हरियाणा में पूरी पेमेंट की जा चुकी है, वहीं पंजाब और उत्तर प्रदेश में अभी भी देनदारी शेष है। इसी तरह 2021-22 की पेमेंट भी हरियाणा सरकार द्वारा की जा चुकी है, अब केवल पीडीसी की पेमेंट शेष है जो कि 17.94 करोड़ रुपये हैं जबकि इस पिराई सत्र में पंजाब की 37.04 करोड़ रुपये की देनदारी है।  

• चीनी उत्पादन की औसत लागत 4341 रुपये प्रति क्विंटल है जो कि चीनी के विक्रय मूल्य 3400 रुपये (लगभग) प्रति क्विंटल से काफी ज्यादा है।

• सहकारी चीनी मिलों को 1005 रुपये करोड़ रुपये बतौर ऋण के रूप में प्रदान किए गए जबकि पिछले दो वर्षों यानि 2020-21, 2021-22 में सभी सहकारी और निजी चीनी मिलों को सब्सिडी के रूप में 329 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी गई।

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