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नींबू घास की खेती करने से कितना मिलेगा फायदा, सरकार भी देती है अनुदान राशि

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नींबू घास की खेती

हमारे देश के किसान मुनाफा देने वाली फसलों की खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा रहे है। इसी कड़ी में औषधीय फसल नींबू घास (Lemon Grass) की खेती करके किसान लाखों रुपए कमा भी रहे हैं। दरअसल नींबू घास की खेती किसान बंजर जमीन में भी कर सकते हैं। 


नींबू घास खेती का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसकी फसल में ना तो ज्यादा सिंचाई की जरूरत है और ना ही कीटनाशक दवाओं की। इसके अतिरिक्त पशु भी इस घास को नहीं खाते, जिसके कारण किसान खुले खेत में भी इसकी खेती आसानी से कर सकते है। वहीं बिहार सरकार भी अपने राज्य में नींबू घास की खेती करने वाले किसानों को सब्सिडी देती है।

पिछले साल जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी झारखंड की महिला किसान की तारीफ की थी, जो नींबू घास की खेती कर रही थी। खासकर बंजर भूमि पर इसकी खेती करने से अधिक लाभ व मुनाफा कमाया जा सकता हैं।  वहीं राज्य में बेकार पड़ी बंजर भूमि में नींबू घास की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से बिहार सरकार नींबू घास की खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ की दर से 8000 रुपए की सब्सिडी प्रदान कर रही है। जानकारी के मुताबिक नींबू घास की खेती का रकबा बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार भी महत्व दे रही है। 

आपको बता दें कि नींबू घास एक प्रकार की औषधीय फसल है जिसका तेल निकाल कर कई तरीकों से काम में लिया जाता है। नींबू घास के तेल से औषधीय निर्माण, दवाइयां, घरेलू उपयोग, साबुन और तेल, सौन्दर्य उत्पाद बनाने आदि जैसे कई प्रकार से काम में लिया जाता है। नींबू घास के तेल में सिट्राल पाया जाता है, जो की लगभग 60-80% तक पाया जाता है सिट्रोल विटामिन ए का मुख्य स्त्रोत है। वहीं नींबू घास की खेती करते समय किसानों को कोई भी अतिरिक्त खर्च जैसे- सिंचाई, कीटनाशक, उर्वरक आदि की जरुरत नहीं होती है। नींबू घास की फसल की एक बार बुवाई करने के बाद 5 से 6 बार तक कटाई की जा सकती है।

नींबू घास की खेती में लागत
1- सूखाग्रस्त क्षेत्रों में नींबू घास की खेती करने से खर्च कम और फायदे अधिक मिलते हैं, लेकिन शुरुआत में खाद-बीज आदि मिलाकर इसकी एक एकड़ खेत में 30,000 से 40,000 तक का खर्च आ सकता है।
2- एक एकड़ खेत पर इसकी खेती के लिये करीब 10 किलो बीज की जरूरत पड़ती है, जिससे 55 से 60 दिनों में नींबू घास का पौधा रोपाई के लिए तैयार हो जाता है।
3- किसान चाहें तो प्रमाणित नर्सरी से भी नींबू घास के पौधे खरीद सकते हैं। नर्सरी में पौधे तैयार करने के बाद जून-जुलाई के महीने में नींबू घास के पौधों की रोपाई की जाती है।
4- रोपाई के बाद नींबू घास को तैयार होने में 70 से 80 दिन लग जाते हैं, साथ ही मानसून में बारिश के पानी से ही इसकी सिंचाई होती रहती है। एक साल में नींबू घास की फसल की 5 से 6 बार कटाई करके पत्तियां निकाली जा सकती हैं।
5- बंजर या कम उपजाऊ वाले खेत में एक बार नींबू घास की रोपाई करने पर इसकी फसल अगले 6 सालों तक मोटा मुनाफा देती है। नींबू घास की अच्छी पैदावार के लिए खेत में गोबर की खाद और लकड़ी की राख डालने की सलाह दी जाती है।

बिहार में मौजूदा समय में समुखिया मोड़ के निकट राजपुर व कटोरिया में नींबू घास तेल निकासी यूनिट की स्थापना की गई है। बताया जाता है कि इसकी तेल निकालने वाली मशीन की कीमत 4 लाख रुपए के करीब है। सरकार इसकी यूनिट लगाने पर 90 फीसदी तक अनुदान भी प्रदान करती है। जानकारी के मुताबिक नींबू घास के 1 लीटर तेल की कीमत बाजार में 1200 से 2000 रुपए तक की होती है। लिहाजा, इसकी खेती करने से किसान लाखों रुपए की कमाई से आसानी से कर सकते हैं।

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