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एक लीटर तेल पर कंपनियों को हो रहा इतना मुनाफा, जानें इसके बाद भी क्यों नहीं घटे तेल के दाम

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एक लीटर तेल

भारत में लगातार 13 महिनों से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बदलाव देखने को नहीं मिले, कंपनियों ने रुस युकेन युद्ध के दौरान भी तेल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया था। बता दें की उस समय तेल के रेट में काफी तेजी देखी गई थी, जिसमें जून 2022 में प्रति बैरल क्रूड ऑयल की कीमत 116 डॉलर पहुंच गई थी। लेकिन वहीं कुछ दिन पहले एक रैली में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हैं हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि, 'अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें नियंत्रण में हैं। तेल कंपनियां भी अब घाटे को पूरा कर चुकी हैं। ऐसे में अब तेल कंपनियों को पेट्रोल-डीजल के दाम कम कर देना चाहिए। 

क्रूड ऑयल की कीमत 116 डॉलर पार पहुंची

बता दें कि जून 2022 में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी दर्ज की गई थी, जहां क्रूड ऑयल की कीमत 116 डॉलर पहुंच गई थी। लेकिन उस समय तेल कंपनियों ने भारत में तेल के रेट में कोई बदलाव नहीं देखा गया था, लेकिन फिलहाल अब दिसंबर 2022 में घटकर 70 डॉलर हो गई, इसके चलते तेल कंपनियों का सारा घाटा पूरा हो गया था, बता दें कि देश की 3 सबसे बड़ी तेल कंपनियों इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम ने इसके बाद भी अब तक तेल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है।

इसलिए कम नहीं हुए दाम

एक रिपोर्ट के अनुसार बता दें कि फिलहाल तेल कंपनियां प्रति लीटर पेट्रोल पर 10 रुपए मुनाफा कमा रही है। कच्चे तेल की कीमतों में भले ही इंटरनेशनल मार्केट में कम हुई हो, लेकिन फिलहाल तक पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतों में कोई कमी नहीं देखी जा रही। कंपनियों का कहना है कि अब भी कंपनियों को प्रति लीटर डीजल को 6.5 रुपए घाटे में दे रही है, लेकिन कंपनियां पेट्रोल की बढ़ी कीमत इसकी कमी को पूरा कर रही हैं।


रुस युकेन युद्ध के दौरान क्रूड ऑयल की कीमत प्रति बैरल 140 डॉलर तक पहुंच गई थी, जो पिछले 14 साल में सबसे ज्यादा थी। लेकिन उस वक्त कंपनियों तेल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया था। उस वक्त तेल कंपनियों को एक लीटर पेट्रोल पर 17.4 रुपए और डीजल पर 27.7 रुपए घाटा में दे रही थी। लेकिन उस घाटे की भरपाई की जा चुकी है।

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