DM and Collector: जानिए डीएम और कलेक्टर में फर्क,क्या हैं तहसीलदार व नायब-तहसीलदार का वेतन,यहां देखें पूरी डिटेल्स
DM and Collector: लोक संघ सेवा आयोग में सिविल सेवा परीक्षा की छात्र डीएम मतलब डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और डीसी का मतलब डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर आदि बनने का सपना लेकर तैयारी तो करते जाते हैं लेकिन उनको ये नहीं मालूम होता की आखिर ये एक ही पद हैं या अलग हैं,क्या इनके कार्य होते हैं
कुछ ज्ञान नहीं होता हैं आज हम आपको इनके बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं कई बार लोग डीएम और कलेक्टर के पद को लेकर कनफ्यूज़ हो जाते हैं। डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट यानी डीएम और डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के बारे में जानने से पहले आप कुछ मूल बातों को जान लीजिए। लोकतंत्र में चार स्तम्भों की
बात की गई है। ये र्कायपालिका, न्यायपालिका, विधायिका और मीडिया हैं। किसी भी जगह पर कानून व्यवस्था को बनाये रखने की जिम्मेदारी कार्यपालिका की होती है। कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जिस अधिकारी को नियुक्त किया जाता है, उसे ही डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कहते हैं।
महत्वपूर्ण जानकारी
आजादी से पहले देश में न्याय शक्ति और कार्यकारी शक्ति एक ही व्यक्ति के पास होती थी। लेकिन संविधान लागू होने के बाद आर्टिकल 50 के तहत पब्लिक सर्विस को अलग कर दिया गया। इस प्रकार
कलेक्टर और डीएम की जिम्मेदारियां और कार्यक्षेत्र अलग हो गए। डीएम को उनकी कार्यशक्ति दण्ड
प्रक्रिया संहिता 1973 से मिलती है। जबकि एक कलेक्टर को भूमि राजस्व संहिता 1959 से मिलती है।
दोनों अधिकारियों का कार्य जिले के विभिन्न विभागों व एजेंसियों के बीच समन्वय बनाने का भी होता है। कुछ जगहों पर डीएम के कार्य में कलेक्टर की शक्तियों को निहित कर दिया जाता है. इसीलिए कभी-कभी कहा जाता है कि डीएम और कलेक्टर एक ही होते हैं. लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है।
डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर यानि डीसी
डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर जिला स्तर पर राजस्व प्रबंधन से जुड़ा सबसे बड़ा अधिकारी डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर ही होता है। राजस्व मामलों में वह संभागीय आयुक्त और वित्तीय आयुक्त के माध्यम से सरकार के प्रति उत्तरदायी होता है। डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर किसी भी ज़िले का उच्चतम न्यायिक अधिकारी होता है. जानें डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर की प्रमुख जिम्मेदारियां क्या होती हैं-
कार्य
– रेवेन्यू कोर्ट.– राहत एवं पुनर्वास कार्य.– जिला बैंकर समन्वय समिति का अध्यक्ष.– जिला योजना केंद्र का अध्यक्ष.– भूमि अधिग्रहण का मध्यस्थ और भू-राजस्व का संग्रह.– लैंड रिकॉर्ड से जुड़ी व्यवस्था.– कृषि ऋण का वितरण.– एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन, सिंचाई बकाया, इनकम टैक्स बकाया व एरियर.– राष्ट्रीयता, अधिवास, शादी, एससी/एसटी, ओबीसी, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग जैसे वैधानिक सर्टिफिकेट जारी करना।
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट एक भारतीय प्रशासनिक सेवा यानि आईएएस अधिकारी होता है जो भारत में एक जिले के सामान्य प्रशासन के सबसे वरिष्ठ कार्यकारी मजिस्ट्रेट और मुख्य प्रभारी होते हैं। एक जिला की जिम्मेदारी एक मजिस्ट्रेट को सौंपी जाती हैं वहीं अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती हैं।यह भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी होता है. डीएम किसी भी ज़िले का सर्वोच्च कार्यकारी मजिस्ट्रेट अधिकारी है और उनकी जिम्मेदारी ज़िले में प्रशासनिक व्यवस्था बनाए रखने की होती है। विभिन्न राज्यों में डीएम की जिम्मेदारियों में अंतर होता है।
कार्य
– मृत्यु दंड के कार्यान्वयन को प्रमाणित करना.– अधीनस्थ कार्यकारी मजिस्ट्रेटों का निरीक्षण करना.– डिस्ट्रिक्ट के पास जिले के लॉक-अप्स और जेलों के प्रबंधन का निरीक्षण करना। ज़िले में कानून व्यवस्था बनाये रखना,पुलिस को नियंत्रित करना और निर्देश देना,डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की भूमिका में रहने वाले डिप्टी कमीश्नर ही आपराधिक प्रशासन का प्रमुख होता है.
डीएम या डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की सैलरी
डीएम की सैलरी 1 लाख से 1.5 लाख रुपए प्रति महीने होती है. इसके अलावा इन्हें बंगला, गाड़ी, सुरक्षा गार्ड, मेडिकल, फोन आदि की सुविधा भी मिलती है.
सब डिविजनल मजिस्ट्रेट के कार्य व सैलरी-
सब डिविजनल मजिस्ट्रेट अपने डिवीजन का प्रमुख मजिस्ट्रेट होता है. डिवीजन के अंदर राजस्व कानून के तहत एसडीएम को कलेक्टर की सभी शक्तियां मिली होती हैं. एक एसडीएम की मासिक सैलरी 50 से 60 हजार रुपए प्रतिमाह होती है. इसके अलावा उन्हें कई तरह के
भत्ते,टीए,डीए,बंगला,गाड़ी,सुरक्षागार्ड जैसी कई सुविधाएं दी जाती हैं।
कितनी होती हैं तहसीलदार और नायब-तहसीलदार की सैलरी
आपको बता दें की तहसीलदार को 15600 से लेकर 39100 रुपए प्रतिमाह और एक नायब-तहसीलदार को 9300 से लेकर 34800 रुपए प्रतिमाह सैलरी दी जाती है। इसके अतिरिक्त इन्हें कई तरह के भत्ते,टीए,डीए,बंगला,गाड़ी आदि की सुविधा भी भी दी जाती हैं।