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Mulayam Singh Yadav: अखाड़े से शुरू हुई नेता बनने की कहानी, जानें मुलायम सिंह यादव के संघर्ष भरे राजनीतिक सफर के बारे में

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MULAYAM SINGH YADAV

Mulayam Singh Yadav: पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है। समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव बीते कुछ दिनों से गुरुग्राम स्थित मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती थे। बता दें कि उनके निधन की खबर सामने आने के बाद से ही हर कोई उनके और उनके परिवार के बारे में जानने का प्रयास कर रहा है। कोई विकिपीडिया खंगाल रहा है तो कोई अपने दादा-नाना से उनके बारे में जानने की कोशिश कर रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मुलायम सिंह के जिंदगी पर एक फिल्म बनाई गई है। इस फिल्म में न केवल मुलायम के शुरुआती दिनों के बारे में बताया गया है, बल्कि उनके राजनीतिक दंगल का खिलाड़ी बनने तक का सफर भी दर्शाया गया है।

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ऐसा रहा मुलायम सिंह यादव का सफर

मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 में उत्तर प्रदेश (तत्कालीन यूनाईटेड प्रोविन्स) के सैफई में हुआ था. उन्होंने राजनीतिशास्त्र की पढ़ाई की. बीए, एमए के बाद उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में पीएचडी की उपाधि ली. मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी के करहल कस्बे में स्थित जैन इंटर कॉलेज में राजनीति विज्ञान के शिक्षक के तौर पर भी कार्य किया. इसी दौरान वो राजनीति में सक्रिय हुए. राजनीति की दुनिया में उनका झुकाव शुरुआत से ही समाजवाद की तरफ हुआ और वो इटावा-मैनपुरी में भी समाजवादी राजनीति में हिस्सा लेने लगे. धीरे-धीरे वो राम मनोहर लोहिया और चौधरी चरण सिंह के प्रिय हो गए. सबसे पहले उन्होंने संयुक्त प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का दामन थामा और साल 1967 में विधायक बने. कभी साइकिल से चलने वाले मुलायम सिंह यादव ने जब साल 1992 में अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई, तब उन्होंने उसका निशान साइकिल ही रखा. 

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मुलायम सिंह यादव ने बदली कई राजनीतिक पार्टियां

मुलायम सिंह यादव ने शुरुआत प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से की थी, इसके बाद वो डॉ राम मनोहर लोहिया के संयुक्त प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गए. इसी पार्टी से वो साल 1967 में पहली बार महज 28 साल की उम्र में विधायक बने. उसी साल डॉ राम मनोहर लोहिया की मौत के बाद पार्टी कमजोर पड़ने लगी. साल 1968 में उन्होंने चौधरी चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल का दामन थाम लिया. फिर क्रांति दल और सोशलिस्ट इकट्ठे हुए तो लोक दल में वो शामिल हो गए. साल 1987 में क्रांतिकारी मोर्चा भी मुलायम सिंह यादव ने बनाया, जब चौधरी चरण सिंह अपने बेटे अजित सिंह को पार्टी में अहम पद पर लाए. इसके बाद उन्होंने चंद्रशेखर की जनता दल (समाजवादी) का दामन था. फिर साल 1992 में अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी बना ली.

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कभी परिवारवाद के घोर विरोधी थे मुलायम सिंह यादव

मुलायम सिंह यादव और समाजवादी पार्टी पर परिवारवादी पार्टी होने के आरोप लगते हैं. ये सच भी है कि उनके परिवार के तमाम लोग राजनीतिक पदों यहां तक कि कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री, लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, विधानपरिषद, जिला परिषद या उन तमाम राजनीतिक पदों पर रहे, जो राजनीतिक पर ताकतवर हो सकते हैं. लेकिन कभी वो परिवारवाद के नाम पर इंदिरा गांधी और फिर अपने ही गुरु चौधरी चरण के विरोधी हो गए थे और लोक दल पार्टी को ही तोड़ दिया था. चूंकि वो लोक दल में चौधरी चरण सिंह के बाद सबसे महत्वपूर्ण नेता थे, लेकिन चौधरी चरण सिंह अपनी विरासत को बेटे अजित सिंह को सौंप रहे थे, जिसका मुलायम सिंह यादव ने कड़ा विरोध किया और क्रांतिकारी मोर्चा का गठन कर लिया. इसमें उनके साथ तमाम कम्युनिष्ट भी आ गए थे.

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मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक सफर के अहम पड़ाव

  • पहली बार साल 1967 में मुलायम सिंह यादव विधायक बने
  • साल 1969 के चुनाव में उन्हें विधानसभा चुनाव में हार मिली
  • साल 1974 में फिर से मुलायम सिंह यादव विधायक बने
  • साल 1977 में पहली बार उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री बने
  • साल 1980 में लोक दल के अध्यक्ष बने
  • साल 1982 से 1985 तक वो विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष रहे
  • साल 1989 में वो पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने
  • साल 1990 में जनता दल (समाजवादी) में शामिल हुए
  • साल 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की
  • साल 1993 में दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने
  • 1996 में पहली बार मैनपुरी से लोकसभा सांसद बने
  • साल 1999 में वो संयुक्त मोर्चा गठबंधन सरकार के भारत के रक्षा मंत्री बने
  • साल 1999 में संभल, कन्नौज लोकसभा सीटों से सांसद बने
  • साल 2003 में तीसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने
  • साल 2004 सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड बनाया
  • साल 2004 में भी मैनपुरी से लोकसभा चुनाव जीते
  • 2014 में आज़मगढ़, मैनपुरी से चुनाव जीते
  • साल 2019 में वो फिर सांसद बने. ये सातवां मौका था, जब वो सांसद बने
  • मुलायम सिंह यादव 8 बार विधानसभा-विधानपरिषद के सदस्य रहे हैं, तो 7 बार लोकसभा के सदस्य
     

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