बिजली कर्मचारियों को दिल्ली रामलीला मैदान में एकत्र होने की अनुमति नहीं, संसद कूच करेंगे
चंडीगढ़। दिल्ली पुलिस ने बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियर को 23 नवंबर बुधवार को रामलीला मैदान में एकत्र होने की अनुमति नहीं दी है। इससे आक्रोशित बिजली कर्मचारियों ने सीधे संसद के समक्ष पहुंच कर जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने का फैसला किया है।
नेशनल कार्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी एंपलाइज एंड इंजीनियर (एनसीसीओइइई) के संयोजक प्रशांत नंदी चोधरी, शैलेंद्र दुबे व सुभाष लांबा ने दिल्ली पुलिस द्वारा धारा 144 का हवाला देकर रामलीला मैदान से संसद तक रैली निकालने की अनुमति न देने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है।
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि एमसीडी चुनाव प्रचार में राजनीतिक दलों को बड़ी-बड़ी रैलियां व रोड शो करने की अनुमति दी जा रही है, लेकिन बिजली कर्मचारियों को बिजली अमेंडमेंट बिल 2022 के खिलाफ और अन्य मांगों को लोकतांत्रिक तरीके से रैली करने की अनुमति नहीं मिल रही है।
प्रशांत नंदी और सुभाष लांबा ने कहा कि दिल्ली पुलिस का यह रवैया यूनियन एवं लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है, जिसको किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इसका उचित जवाब दिया जाएगा।
सुभाष लांबा के अनुसार, बिजली अमेंडमेंट बिल पास होने के बाद सब्सिडी खत्म हो जाएगी और बिजली की दरों में वृद्धि होगी, जिससे बिजली किसान व गरीब की पहुंच से बाहर हो जाएगी। उन्होंने बताया कि बिजली उपभोक्ताओं के बजाय प्राइवेट लाइसेंसी को यह अधिकार होगा कि वह किस को बिजली दे। बिजली के नेटवर्क को मामूली चार्ज देकर प्राइवेट लाइसेंसी भारी मुनाफा कमाएंगे। बिल पास होने पर घाटे का राष्ट्रीयकरण और मुनाफे का निजीकरण होगा।
बिजली कर्मचारी इन मांगों को लेकर करेंगे संसद कूच
इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 वापस लिया जाए। निजीकरण हेतु जारी किए गए स्टैंडर्ड बिडिंग डाक्यूमेंट और ट्रांसमिशन के निजीकरण के आदेश को वापस लिया जाए।
पावर सेक्टर के निजीकरण की समस्त प्रक्रिया रद की जाए। विशेष तौर पर केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ और पुडुचेरी में निजीकरण की प्रक्रिया निरस्त की जाए। सभी मौजूदा निजीकरण व फ्रेंचाइजी करार रद हों।
राज्यों में सभी बिजली कंपनियों का एकीकरण कर केरल में केएसइबी लिमिटेड और हिमाचल में एचपीएसइबी लिमिटेड की तरह एसइबी लिमिटेड का गठन किया जाए।
सभी बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों के लिये पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाये।
तेलंगाना, ओडिशा, पंजाब और राजस्थान की तरह सभी प्रांतों में संविदा, दैनिक वेतन भोगी, आउटसोर्स बिजली कर्मियों को नियमित किया जाए। नियमित होने तक उन्हें समान काम समान वेतन व सेवा सुरक्षा प्रदान की जाए।
ऊर्जा क्षेत्र में सभी रिक्त पदों पर नियमित भर्ती कर बेरोजगारों को रोजगार दिया जाए।
सभी उपभोक्ताओं को वहनीय दरों पर 24 घंटे बिजली मुहैया कराई जाए।