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खाद को लेकर हरियाणा सरकार के कड़े आदेश:विक्रेताओं ने किसानों पर DAP के साथ दवाई थोपी तो लाइसेंस होगा सस्पेंड

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DAP


हरियाणा में गेहूं उत्पादक किसानों पर DAP व यूरिया के साथ कीटनाशक दवाई थोपने वाले विक्रेताओं पर रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने सख्ती बरती है। मंत्रालय ने निर्देश जारी किए हैं कि कोई विक्रेता खाद के साथ किसानों को कीटनाशक दवाई नहीं दे सकता। अगर कोई ऐसा करता पाया गया तो उसका लाइसेंस सस्पेंड हो सकता है। बेशक मंत्रालय के आदेश आने में देरी हुई है, लेकिन मंत्रालय के इस फैसले के बाद किसानों को राहत मिली है।

दोहरी मार झेलने वाले किसानों से खाद विक्रेताओं ने अब तक करोड़ों रुपए कमा लिए। जिले में 1 नवंबर से गेहूं बिजाई शुरू हुई थी। अब बिजाई लगभग खत्म होने की कगार पर है। किसानों के साथ हो रही लूट को रोकने में प्रशासन और कृषि अधिकारी पंगू साबित हो चुका थे। किसानों के समर्थन में कृषि विभाग के अधिकारी भी कुछ नहीं कर पाए। अब जब मंत्रालय ने आदेश दिए हैं तो जिलेभर के किसानों अब तक गेंहू की बुआई कर चुके हैं।

DAP खाद 1350 रुपए तो 1000 की दी जा रही दवाई
कृषि के माहिर संदीप ने बताया कि जिले में करीब 52 हजार गेहूं की बिजाई करने वाले किसान हैं। 1 एकड़ में करीब 1350 रुपए की कीमत का एक DAP बैग लगता है। इस बैग के साथ किसानों को कीटनाशक दवा विक्रेतान 1000 रुपए की कीटनाशक दवा जबरन दे देते हैं। अब सवाल यह उठता है कि अगर जिले के 50 हजार किसानों ने भी एक बैग DAP का खरीदा है तो उनको एक बैग के साथ 1000 की दवा दी गई है।

संदीप ने कहा कि अगर एक 1 किसान ने 1 एकड़ के लिए 1 बैग भी लिया तो उसको एक 1 हजार रुपए की कीटनाशक दवा खरीदनी होगी, यानी 1 नंवबर से अब तक 22 दिन में दवा विक्रेता 5 करोड़ रुपए की किसानों से अवैध वसूली कर चुके हैं। वहीं खुद सतर्क होने का दावा करने वाले कृषि विभाग के पास किसानों की शिकायतें भी गई, लेकिन अधिकारी मुंह पर दही जमा कर बैठे रहे। क्योंकि इस मुनाफे का सीधा पैसा जिम्मेदारों की जेब में भी जाता है।

किसानों के साथ हो चुकी लूट का जिम्मेदार कौन
पारदर्शी सिस्टम का दावा करने वाली सरकार में बाजारवाद को बढ़ावा दिया गया है। अब सवाल उठता है किकिसानों के साथ हुई इस लूट पर हरियाणा का पारदर्शी सिस्टम कौन-सी थ्योरी पर काम करेगा। क्या बाजारवाद में शामिल चालबाजों द्वारा जो खेल खेला गया था, उसको लेकर प्रशासन की ओर से ऐसी कोई अधिसूचना जारी हुई थी कि यूरिया व DAP के साथ कीटनाशक दवा लेना किसान के लिए जरूरी है। अगर ऐसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ तो क्यों सत्ताधारी चुप्पी साध कर बैठे हैं। मंत्रालय के आदेश के बाद इस बात की पुष्टि होती है कि यह अवैध कारोबार मनमर्जी से किया गया।

को-ऑपरेटिव सोसायटी से पहले निजी विक्रेताओं का खाद पर कब्जा
किसान संजीव, रमेश व रामधारी ने बताया कि करीब 4 वर्ष पहले किसानों को सरकारी सोसायटी से उचित दाम पर DAP व यूरिया खाद बड़े आराम से मिल जाती थी, लेकिन अब प्रदेश सरकार ने आय दोगुनी करने का झांसा देकर तरह-तरह के हथकंडे अपना कर किसानों के साथ लूट की है। धान सीजन में पड़ी मार से किसान अभी तक उभरा ही नहीं था कि गेहूं बिजाई के दौरान किसान से खाद के नाम पर खेल खेला गया।

क्या कहते हैं कृषि विभाग के उपनिदेशक
कृषि विभाग के अधिकारी आदित्य डबास से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि विक्रेता खाद के साथ किसान को जबरदस्ती गैर जरूरी उत्पाद नहीं दे सकता। रसायन और उर्वरक मंत्रालय की ओर से इस दिशा में स्पष्ट आदेश जारी हो चुके हैं। यदि किसी विक्रेता ने ऐसा किया तो उसका लाइसेंस सस्पेंड भी हो सकता है।

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