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जेल में बढ़ते कैदी, कम होते स्टाफ से सेंट्रल जेल की सुरक्षा दांव पर

हरियाणा सरकार जेलों की सुरक्षा और उनमें सुधार के लिए लगातार प्रयास कर रही है। आपको बता दे की अंबाला शहर स्थित सेंट्रल जेल की कहानी बिल्कुल ही अलग है। यहां स्टाफ कम होता जा रहा है, वहीं कैदियों को रखने के ब्लाॅक जर्जर होकर गिर रहे हैं। वहीं क्षमता से अधिक बंदियों को जेल में रखे जाने से पूरी सुरक्षा व्यवस्था दांव पर लगी हुई है।
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Haryana jail

 

 

समय पर सेंट्रल जेल को यहां से दूसरी बड़ी जगह ले जाने की बात हो रही हैं। यहां तक कि प्रस्तावित जेल के लिए अभी तक भूमि भी चिन्हित नहीं हो सकी। इसके ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग भी जोर पकड़ने लगी है। ऐसे में अब या तो यहां नए ब्लाॅक बनाए जाने जरूरी हैं।फिर अतिरिक्त कैदियों व बंदियों को दूसरी जेलों में शिफ्ट किया जाना सुरक्षा के लिहाज से भी जरूरी है। हैरानी की बात तो यह भी है कि यहां क्षमता के अनुसार जेल वार्डरों के 175 पद स्वीकृत हैं लेकिन डेढ़ गुना कैदी/बंदी होने के बावजूद मात्र 120 ही कार्यरत हैं। नाॅन गजेटिड अधिकारियों की संख्या भी करीब आधी ही है। जेल अनुशासन के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की जरूरत भी है।

आपको बता दे कि करीब 65 एकड़ भूमि में फैले जेल में कैदियों व बंदियों को रखने के लिए सभी प्रकार के मिलाकर 15 ब्लाॅक ही बने हुए हैं। जिनमें कैदियों व बंदियों को रखने की क्षमता करीब 1225 की है। इनमें से एक ब्लाॅक जर्जर हो चुका है जिसके कारण अब यह क्षमता कम होकर करीब 1000 ही रह गई है, लेकिन वर्तमान में औसतन 1600 कैदी व बंदी इस जेल में भरे हुए हैं। इनमें से करीब 325 तो सजायाफ्ता ही हैं जबकि बाकी हवालाती बंदी की श्रेणी में आते हैं।
कुल कैदियों व बंदियों में 11 सजायाफ्ता सहित 56 महिलाएं भी बंद हैं। यही नहीं वर्तमान में दो नन्हे बच्चे भी अपनी माताओं के साथ जेल में रहने को मजबूर हैं। इनमें से एक मात्र डेढ़ वर्ष का तो दूसरा एक वर्ष से भी कम आयु का है। फांसी की सजा पाए 2 कैदी भी अपनी अपील पर फैसले का इंतजार कर रहे हैं। इस ऐतिहासिक सेंट्रल जेल में देश की आजादी के बाद से अब तक कुल 29 हत्या के दोषियों को फंदे पर लटकाया जा चुका है।।

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