Suicide Plant: खुदकुशी के लिए उकसाता है यह जहरीला पौधा, जानिए क्या है वजह
Suicide Plant: क्या अपने कभी सुना है कि कोई पौधा एक इंसान को खुदखुशी करने के लिए मजबूर कर सकता है। जी हां. . . . बायोलॉजिकल नाम का एक पौधा है, जो ऑस्ट्रेलिया के उत्तर-पूर्वी रेनफॉरेस्ट में पाया जाता है। जिम्पई-जिम्पई इसका कॉमन नेम है। लेकिन इस पौधे को और भी कई नामों से जाना जाता है। बता दें कि अगर इस पौधे को कोई इंसान छू भी ले तो उसको इतनी असहनीय पीड़ा हो जाती है कि उनसे खुदखुशी करने का मन करने लगता है।
यह पौधा बहुत ही जहरीला होता है। इसको सुसाइड प्लांट, जिम्पई स्टिंगर, स्टिंगिंग ब्रश और मूनलाइटर नाम से भी जानते है। ये ऑस्ट्रेलिया के अलावा ये मोलक्कस और इंडोनेशिया में भी मिलता है. दिखने में ये बिल्कुल सामान्य पौधे जैसा है, जिसकी पत्तियां हार्ट के आकार की होती हैं और पौधे की ऊंचाई 3 से 15 फीट तक हो सकती है।
जानिए क्यो कहा जाता है इसे सुसाइड प्लांट
ऑस्ट्रेलियाई मूल के इस पौधे से गलती से भी किसी का शरीर छू जाए तो पौधे के रोएं भीतर धंस जाएंगे और फिर शुरू हो जाएगा दर्द का वो खौफनाक दौर कि इंसान खुदकुशी करने तक की सोचने लगता है। यही वजह है कि इसे सुसाइड प्लांट भी कहा जाता हैं।
साइंटिस्ट मरिना हर्ले का क्या है कहना
साइंटिस्ट मरिना हर्ले कुछ साल पहले ऑस्ट्रेलियाई वर्षावनों पर शोध कर रही थीं। वैज्ञानिक होने के नाते वे जानती थीं कि जंगलों में कई खतरे होते हैं। यहां तक कि पेड़-पौधे भी जहरीले हो सकते हैं। इससे बचने के लिए उन्होंने हाथों में वेल्डिंग ग्लव्स और बॉडी सूट पहना हुआ था। अलग लगने वाले तमाम पेड़-पौधों के बीच वे एक नए पौधे के संपर्क में आईं । वेल्डिंग ग्लव्स पहने हुए ही उन्होंने उसकी स्टडी करनी चाही, लेकिन ये कोशिश भारी पड़ गई।
पौधे के बारे में जानकारी
इसका बायोलॉजिकल नाम है, डेंड्रोक्नाइड मोरोइड्स, जो ऑस्ट्रेलिया के उत्तर-पूर्वी रेनफॉरेस्ट में मिलता है। जिम्पई-जिम्पई इसका कॉमन नेम है, लेकिन इसे कई और नामों से भी जाना जाता है, जैसे सुसाइड प्लांट, जिम्पई स्टिंगर, स्टिंगिंग ब्रश और मूनलाइटर। ऑस्ट्रेलिया के अलावा ये मोलक्कस और इंडोनेशिया में भी मिलता है। दिखने में ये बिल्कुल सामान्य पौधे जैसा है, जिसकी पत्तियां हार्ट के आकार की होती हैं और पौधे की ऊंचाई 3 से 15 फीट तक हो सकती है।
क्या है पौधे का जहरीला होने का कारण
रोएं की तरह बारीक लगने वाले कांटों से भरे इस पौधे में न्यूरोटॉक्सिन जहर होता है, जो कांटों के जरिए शरीर के भीतर पहुंच जाता है. यहां समझ लें कि न्यूरोटॉक्सिन वही जहर है, जो सीधे सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर असर डालता है। इससे मौत भी हो सकती है। कांटा लगने के लगभग आधे घंटे बाद दर्द की तीव्रता बढ़ने लगती है जो लगातार बढ़ती ही जाती है अगर समय पर इलाज न मिले।
मुश्किल से मिलता है छुटकारा
कांटा चुभने के बाद निकाल देने पर आमतौर पर दर्द खत्म हो जाता है, लेकिन इस पौधे का मामला जरा पेंचीदा है। इसके कांटे इतने बारीक होते हैं कि शरीर में धंसने के बाद दिखाई ही नहीं देते। निकालने के दौरान अगर ये टूटकर स्किन में ही रह जाएं तब मामला और बिगड़ जाता है। कई इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट्स और डॉक्युमेंट्री में जिक्र है कि इस पौधे के जहर को केमिकल वेपन की तरह काम लाने के लिए ब्रिटेन की लैब पोर्टान डाउन ने भी ऑस्ट्रेलियाई सरकार और यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड से संपर्क किया था।
पौधे को नहीं किया जा सकता खत्म
किसी भी पौधे को पूरी तरह से खत्म करना न तो मुमकिन है,और न ही इकोलॉजिकल सिस्टम के लिए अच्छा ही है। बेहद जहरीले जिम्पई-जिम्पई के साथ भी एक अच्छी बात ये है कि कई कीडे़ और पक्षी इसके फल खाते हैं और बिल्कुल ठीक रहते हैं।