हरियाणा का ऐसा श्रापित मंदिर, जहां दर्शन करने से विधवा हो जाती है महिलाएं; जानिए इसके पीछे का रहस्यमयी कारण
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Jyotish News: हरियाणा का कुरुक्षेत्र जिला धर्मनगरी के रूप में अपनी एक अलग पहचान रखता है। इसी धरती पर महाभारत का युद्ध लड़ा गया था। अपने सदियों पुराने इतिहास के लिए कुरूक्षेत्र दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
इसी पावन धरती पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। लेकिन क्या आपको मालूम है कि धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के पिहोवा में स्थित सरस्वती तीर्थ पर एक ऐसा मंदिर भी है, जहां सदियों से महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी है।आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह क्या है।
कुरुक्षेत्र से महज 20 km की दूरी पर स्थित पिहोवा के सरस्वती तीर्थ स्थित भगवान महादेव के पुत्र कार्तिकेय जी का मंदिर है।माना जाता है कि यहां महिलाएं कार्तिकेय महाराज की पिंडी के दर्शन नहीं कर सकती है।
अगर कोई भी महिला गर्भ गृह के दर्शन करने जाती है तो वो महिला सात जन्मों तक विधवा रहती है। इसके लिए बकायदा मंदिर में बोर्ड लगाया गया जिस पर इस बात का उल्लेख किया गया है।
मंदिर में सभी महिलाओं का प्रवेश वर्जित
मंदिर के परिसर में महिलाओं के लिए दीवार पर हिदायत लिखी गई है कि वो गर्भ गृह के भीतर ना झांके। इसी के चलते मंदिर में लाइट की जगह केवल ज्योत ही जलाई जाती है। इतना ही नहीं मंदिर में प्रवेश करने पर महंत भी महिलाओं के विधवा होने तक का उदाहरण देने लगते हैं।
इसी मान्यता के चलते महिलाएं मंदिर के बाहर से ही दर्शन कर कार्तिकेय महाराज का आशीर्वाद लेती हैं। मंदिर में केवल विवाहिताओं के प्रवेश पर ही रोक नहीं है, बल्कि मंदिर के अंदर नवजात बच्ची तक को ले जाने की इजाजत नहीं है।
सरसों तेल चढ़ाने की परम्परा
मंदिर के महंत ने बताया कि जब कार्तिकेय ने मां पार्वती से क्रोधित हो अपने शरीर का मांस और रक्त आग को समर्पित कर दिया था। तब भगवान शिव ने कार्तिकेय को पिहोवा तीर्थ पर जाने का आदेश दिया था। तब कार्तिकेय के गर्म शरीर को शीतलता देने के लिए ऋषि मुनियों ने उनपर सरसों तेल चढ़ाया था।
शांत होने के बाद कार्तिकेय इसी स्थान पर पिंडी रूप में विराजित हो गए थे और तब से लेकर आज तक कार्तिक महाराज की पिंडी पर सरसों का तेल चढ़ाने की भी परंपरा चली आ रही है।