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एक ऐसा गांव जो 135 साल तक रहा श्रापित, क्यों क्रोधित हो गईं थी सती माता, जानिए इसके पीछे की कहानी

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एक ऐसा गांव जो 135 साल तक रहा श्रापित

Bihar News: आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताते है जो वहां के लोगों की वजह से पिछले 135 साल तक पूरा श्रापित रहा। फिर अचानक ऐसा हुआ की तब जाकर गांव श्राप मुकत हुआ। यह कहानी है बिहार के जमुई जिला के खैरा प्रखंड क्षेत्र स्थित चौहानडीह गांव है. जहां माता सती का एक मंदिर है. जिसकी कहानी सती प्रथा से जुड़ी हुई है।

यह  एक अनोखा मंदिर की।  जिसके श्राप से लोग 135 साल तक पीड़ित रहे थे. .आपको बता दें की इतना ही नहीं इनके शाप के कारण गांव की कई पीढ़ियां पलायन कर गई. करीब एक शताब्दी के बाद इस गांव के लोगों के ऊपर से शाप का प्रकोप खत्म हुआ है और तब जाकर यहां लोगों के घरों में रौनक देखने को मिल रही है। 

क्या है इसके पीछे की कहानी  

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि 1878 में चौहानडीह गांव में एक महिला अपने पति की मौत के बाद सती हो गई थी.  इस गांव के पहले ग्रामवासी मेहताब सिंह के 5 पुत्र थे. उनके सबसे छोटे पुत्र का विवाह एक धार्मिक संपन्न कन्या से हुई थी. उक्त कन्या बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति की थी। 

विवाह के बाद  जब वह चौहानडीह गांव आई तो पतिव्रत में तल्लीन हो गई. लेकिन उनके पति का अचानक देहांत हो गया, जिससे गांव में करुण क्रंदन शुरू हो गया. उनकी पत्नी ने पति की चिता पर ही सती होने का निर्णय लिया.

गांव के लोगों के समझाने के बाद भी वह नहीं मानी और चिता सजवा कर पति को अपने गोद में लेकर बैठ गई. इधर, कुछ ब्राह्मण कीर्तन-भजन गाने वाले वहां भजन गाना शुरू कर दिया. देखते ही देखते चिता पर बैठने के बाद अचानक अग्नि प्रज्वलित हो गई। 

महिला ने दे दिया था श्राप

ग्रामीणों ने बताया कि पति और पत्नी चिता में एक साथ जलने लगे. इसी बीच एक व्यक्ति ने चिता पर धूमन झोंक दिया, जिससे कि चिता पर बैठी पत्नी ने दुखी होकर कहा कि मैं तुम को श्राप देती हूं, तुम्हारा पूरा परिवार नष्ट हो जाएगा.

जिस घर में धन होगा उस घर में संतान नहीं होगी और जिस घर में संतान होगा उस घर में धन नहीं होगा. जिसके बाद यहां बदहाली का दौर शुरू हो गया. स्थिति ऐसी हो गई कि कई वर्षों तक गांव में खुशहाली नहीं आई. नतीजतन लोगों को यहां से पलायन तक होना पड़ा। 

135 साल बाद हुए शाप से मुक्त

135 साल बाद लोग इस शाप से मुक्त हुए. लोगों ने माता सती का एक मंदिर बनाया और उनसे अपने भूल की क्षमा मांगी. आज भी लोग इस मंदिर में प्रतिदिन क्षमा याचना करते हैं और गांव के हर अनुष्ठान से पूर्व इनकी पूजा-अर्चना करते हैं। 

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