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औरंगजेब ने इस राजा की मदद से किया था हिन्दुस्तान पर राज, फिर किए खुले कत्ल-ए-आम, जाने पूरी कहानी

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औरंगजेब ने इस राजा की मदद से किया था हिन्दुस्तान पर राज

औरंगजेब को मुगलों का सबसे क्रूर बादशाह कहा गया है. औरंगजेब के कारनामे ऐसे रहे जिससे सुनकर रूह कांप जाए. पहले तो उसने सत्ता को हासिल करने के लिए तीनों भाइयों दारा शिकोह, मुराद बख्श और शाह शुजा को हटाया. पिता को बंदी बनाया. फिर तीनाें भाइयों के बेटों का कत्ल कराया और सत्ता संभाली. दिलचस्प बात रही कि यह सब हासिल करने में औरंगजेब की मदद की हिन्दू राजा जय सिंह प्रथम ने की. जिन्हें मिर्जा राजा जय सिंह के नाम से जाना गया.

इसके एक किस्से का जिक्र फ्रांसीसी चिकित्सक फ्रांस्वा बर्नियर ने अपने संस्मरण में किया. 1658 में भारत आए फ्रांस्वा और शाहजहां के सबसे बड़े बेटे दारा शिकोह से दोस्ती हुई. उन्होंने दारा शिकोह के लिए एक चिकित्सक के तौर पर काम किया. इस दौरान उन्होंने मुगलों के कई किस्से दर्ज किए.

औरंगजेब की जीत का पूरा सच?

सल्तनत पाने के लिए जब औरंगजेब बागी हुआ तो शाहजहां को यह अहसास हो गया था कि किस कदर कत्ल-ए-आम मचने वाला है. उसी खूनखराबे को रोकने की जिम्मेदारी शाहजहां ने राजा जय सिंह को दी.

शाहजहां अपने सभी बेटे में से सबसे ज्यादा लगाव दारा शिकोह से रखते थे. वह दारा से इस कदर स्नेह रखते थे कि उसे सैन्य प्रशिक्षण में भी नहीं जाने देते थे. वह चाहते थे उनके बाद मुगल सल्तनत की कमान दारा ही संभालें, लेकिन हालात को कुछ और ही मंजूर था.

औरंगजेब यह बात अच्छी तरह से जानता था कि सत्ता के लिए पिता शाहजहां दारा को ही अपना वारिस मानते हैं. इसलिए दारा शिकोह को रास्ते से हटाने के लिए औरंगजेब ने अपने भाइयों को एक किया और योजना बनाई.

बर्नियर के मुताबिक, एक समय ऐसा भी आया जब दारा के तीनों भाई आगरा की तरफ बढ़ने लगे. मुराद बख्श गुजरात की तरफ से. शाह शुजा बंगाल की तरफ से. हालांकि, मुगल सल्तनत को सबसे ज्यादा खतरा शुजा से था. इसलिए बादशाह ने उसे रोकने के लिए दारा शिकोह के बेटे सुलेमान के नेतृत्व में फौज तैयार करके रवाना की. लेकिन शाहजहां यह भी चाहते कि अपनों के बीच खून न बहे, इसलिए उन्होंने साथ में राजा जय सिंह प्रथम को भेजा.

राजा जय सिंह लड़ाई को न रोक पाए और खुद को इससे अलग कर दिया. बर्नियर लिखते हैं कि अगर जानबूझकर राजा जय सिंह ने ऐसा न किया होता तो शाह शुजा का उसी दिन काम तमाम हो जाता. जय सिंह को यह लगता था कि बादशाह के बेटे से दुश्मनी मोल लेना ठीक नहीं, इसलिए शाह शुजा भाग निकला.

1658 में औरंगजेब ने सामूगढ़ की जंग में दारा शिकोह को हराया. हार के बाद शाहजहां ने दारा को आगरा से दिल्ली भेज दिया और कहा परेशान मत हो क्योंकि सुलेमान के पास वहां बड़ी फौज है. औरंगजेब अब इसी को तोड़ने की कोशिश में लगा था.

जब औरंगजेब ने भेजा पैगाम

औरंगजेब ने अपने मकसद में कामयाब होने के लिए राजा जय सिंह को पैगाम भेजा कि वो शाहजहां और दारा का पाला छोड़कर उनके साथ आ जाएं. एक समय के बाद आखिरकार राजा जय सिंह ने औरंगजेब की मदद करनी शुरू कर दी. शाहजहां और दारा का साथ छोड़ दिया.

राजा जय सिंह ने शाहजहां के सबसे मजबूत किले को गिराना शुरू किया. उन्होंने सुलेमान से कहा, अपनी फौज को लेकर वापस लौट जाएं, अगर अपने पिता की मदद के लिए आगे बढ़ेंगे तो भारी नुकसान होगा. सुलेमान ने ऐसा ही किया. इस तरह पहले जय सिंह ने औरंगजेब को मदद पहुंचाई. वहीं, दूसरी तरफ औरंगजेब के साथियों ने चाल चली और सुलेमान की सेना को लूटा. कई हाथी मारे गए.

इतना ही नहीं, दारा शिकोह का साथ देने वाले राजा जसवंत सिंह को भी अलग करने का काम राजा जय सिंह ने किया. जय सिंह ने उन्हें लिखा की पूरी तरह बर्बाद हो चुके दारा की मदद करके भला आपको क्या मिलेगा. यह मत सोचिएगा कि दूसरे राजा आपकी मदद करेंगे. मेरे पास उन्हें जवाब देने की ताकत है. इस तरह जसवंत सिंह को भी औरंगजेब खेमे में शामिल कर लिया. इस तरह कई मौकों पर जय सिंह ने औरंगजेब की मदद की.

इतिहास के पन्नोे पर नजर डालेंगे तो पाएंगे औरंगजेब की हर राह को आसान बनाने का काम राजा जयसिंह ने किया. अगर ऐसा न होता तो औरंगजेब के लिए बादशाह बनाना लगभग नामुमकिन हो जाता.

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