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हरियाणा की करनाल विधानसभा सीट के लिए होगा उपचुनाव, लेकिन ये है नियम

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हरियाणा की करनाल विधानसभा सीट के लिए होगा उपचुनाव, लेकिन ये है नियम

करनाल वि.स. सीट उपचुनाव में निर्वाचित विधायक का कार्यकाल होगा  5 माह, अक्टूबर, 2024 में निर्धारित है विधानसभा आम  चुनाव 

हरियाणा के नए मुख्यमंत्री को मौजूदा  विधानसभा का सदस्य बनने का अवसर  देने के लिए  हो रहा  उपचुनाव 

कानूनन एक वर्ष से कम अवधि के कार्यकाल  के लिए नहीं कराया जाता उपचुनाव 

मई, 2023 से रिक्त अम्बाला लोकसभा सीट पर नहीं कराया गया उपचुनाव 

चंडीगढ़-- शनिवार 16 मार्च भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा 18 वीं लोकसभा के आम चुनाव के लिए घोषित  चुनावी कार्यक्रम में हरियाणा प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों के साथ साथ 25 मई 2024 को करनाल विधानसभा (वि.स.)  सीट पर भी उपचुनाव कराया जाएगा.  

गत गुरुवार  14 मार्च को ही  हरियाणा विधानसभा सचिवालय द्वारा जारी एक  गजट नोटिफिकेशन मार्फत प्रदेश के  पूर्व मुख्यमंत्री और करनाल वि.स. सीट से निवर्तमान विधायक  मनोहर लाल खट्टर द्वारा 13 मार्च को  विधानसभा स्पीकर को दिए त्यागपत्र  के स्वीकार होने के फलस्वरूप  करनाल  वि.स. सीट  को 13 मार्च से ही रिक्त घोषित कर दिया गया था एवं इस संबंध में निर्वाचन आयोग को सूचना भेज दी गई थी.  13 मार्च की शाम को ही  मनोहर लाल को करनाल लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी घोषित कर दिया गया.

बहरहाल, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट और चुनावी कानूनों के जानकार हेमंत कुमार ( 9416887788)  ने बताया कि सामान्यत: अगर किसी मौजूदा विधायक को लोकसभा सांसद का चुनाव लड़ना होता है, तो उसे पहले विधानसभा की  सदस्यता से त्यागपत्र देने की आवश्यकता नहीं होती है एवं वह व्यक्ति सांसद का चुनाव जीतने के बाद  विधायक पद से इस्तीफ़ा दे सकता है. इस प्रकार  पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल, जिन्हें करनाल लो.स. सीट से भाजपा प्रत्याशी बनाया गया है,  द्वारा पहले ही  करनाल वि.स. सीट के विधायक के तौर पर त्यागपत्र देने के पीछे एक ही कारण है कि प्रदेश के नए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को  मौजूदा हरियाणा विधानसभा का सदस्य अर्थात   विधायक बनने का अवसर प्रदान करने के लिए उस रिक्त  सीट पर उपचुनाव कराया जा सके. 

बहरहाल, हेमंत ने आगे बताया  कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 150 के तहत राज्य विधानसभा में मौजूदा विधायक की मृत्यु, त्यागपत्र एवं उनका निर्वाचन रद्द होने अथवा उसके  अयोग्य घोषित होने  के कारण आदि कारणों से रिक्त हुई सीट पर भारतीय चुनाव आयोग द्वारा उपचुनाव कराया जाता है. धारा 151 ए के अनुसार ऐसा उपचुनाव करवाने की समय सीमा रिक्त घोषित की गयी विधानसभा सीट के छः माह के भीतर होती है अर्थात रिक्त करनाल वि.स. सीट पर 12 सितंबर 2024 तक उपचुनाव हो सकता है.   हालांकि  अगर रिक्त हुई विधानसभा सीट पर निवर्तमान विधायक के कार्यकाल  की शेष अवधि एक वर्ष से कम हो, तो उस रिक्त सीट पर  उपचुनाव नहीं कराया  जाता है.

 चूँकि  प्रदेश की मौजूदा 14 वी विधानसभा का पहला अधिवेशन ( सत्र) 4 नवंबर 2019 को बुलाया गया था एवं  भारत के संविधान के अनुच्छेद 172  अनुसार इसका कार्यकाल   3 नवंबर 2024 तक है,  इसलिए  वर्तमान हरियाणा विधानसभा में  13 मार्च 2024 को रिक्त हुई करनाल वि.स. सीट की अवधि आठ माह से भी कम है  एवं इस कारण  लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 151(ए) के अंतर्गत   रिक्त कर्नाला वि.स.  सीट पर चुनाव आयोग द्वारा उपचुनाव नहीं कराया जा सकता है.

हालांकि हेमंत का कहना है कि चूँकि गत 12 मार्च 2024 को ही  प्रदेश की कुरुक्षेत्र  लोकसभा सीट  से सांसद नायब सिंह सैनी   हरियाणा के  मुख्यमंत्री बने हैं  एवं वह  प्रदेश विधानसभा के सदस्य अर्थात विधायक नहीं है, इसलिए वह बगैर विधायक बने अधिकतम  6 महीने तक अर्थात  आगामी 11 सितम्बर 2024 तक ही मुख्यमंत्री के पद पर रह सकते हैं. भारत देश के संविधान के अनुच्छेद 164(4) का हवाला देते हुए उन्होंने  बताया कि उसमें स्पष्ट उल्लेख है कि कोई मुख्यमंत्री  जो निरंतर 6 माह की किसी अवधि तक राज्य के विधान
मंडल का सदस्य नहीं है, उस अवधि की समाप्ति पर मुख्यमंत्री नहीं रहेगा.

इसी  बीच उपरोक्त का एक तोड़ बताते हुए हेमंत ने बताया   कि अगर विधानसभा के कार्यकाल के अंतिम वर्ष की अवधि दौरान किसी ऐसे गैर-विधायक व्यक्ति को  प्रदेश का मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता है, जैसे नायब सैनी को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया   गया है,  तो उस परिस्थिति में  रिक्त हुई किसी  विधानसभा सीट‌ पर चुनाव आयोग द्वारा  उपचुनाव कराया जा सकता है बेशक उस रिक्त सीट की अवधि एक वर्ष से कम हो. चूँकि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने करनाल वि.स. सीट से त्यागपत्र दे दिया है, इसलिए प्रदेश के गैर-विधायक मुख्यमंत्री नायब सैनी को हरियाणा विधानसभा का सदस्य बनने के लिए चुनाव आयोग एक अवसर  देकर करनाल वि.स. सीट पर उपचुनाव करा रहा  है.


हेमंत ने भारतीय चुनाव आयोग के आधिकारिक रिकॉर्ड से जानकारी  प्राप्त कर बताया कि हरियाणा में  वर्ष 1986 में भी ऐसा हुआ था जब  हरियाणा में  तत्कालीन मुख्यमंत्री भजन लाल को बदल कर लोकसभा सांसद  बंसी लाल को मुख्यमंत्री बनाया गया था एवं  तत्कालीन  हरियाणा विधानसभा की एक वर्ष से कम अवधि शेष होने बावजूद भिवानी जिले की तोशाम विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराया गया था जिसमें बंसी लाल रिकॉर्ड मार्जिन से निर्वाचित होकर विधायक बने थे.उस  उपचुनाव को हालांकि दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गयी परन्तु दोनों शीर्ष अदालतों ने उसमें हस्तक्षेप नहीं किया था. 

बहरहाल, हेमंत ने अपने  गृह जिले  की  अंबाला  (अनुसूचित जाति आरक्षित) संसदीय अर्थात लोकसभा  सीट का उदाहरण देते हुए बताया कि इस   रिक्त हुए 10 महीने का समय हो गया है  हालांकि  भारतीय चुनाव आयोग द्वारा यहां उपचुनाव नहीं कराया गया है.   

18 मई 2023 को अम्बाला   लोकसभा हलके से     भाजपा‌ सांसद   रतन लाल कटारिया के निधन फलस्वरूप यह सीट खाली  हुई थी. चूँकि मौजूदा 17वी लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 तक है एवं निधन के दिन कटारिया का  सांसद के तौर पर शेष कार्यकाल 13 महीने अर्थात एक वर्ष से ऊपर लंबित था, इसलिए अम्बाला लोकसभा सीट पर उपचुनाव कराना कानूनन आवश्यक था हालांकि वह नहीं कराया गया. 

हेमंत ने जब इस विषय पर  आर,टी.आई. याचिका दायर कर जानकारी मांगी तो जवाब में बताया गया कि निर्वाचन आयोग ने केंद्र सरकार से परामर्श कर यह प्रमाणित किया  है कि चूँकि अम्बाला लोकसभा सीट पर उपचुनाव कराने से नव-निर्वाचित सांसद का कार्यकाल एक वर्ष से भी कम होगा इसलिए उपचुनाव नहीं कराया गया.

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