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High Court used ChatGPT : देश में पहली बार ChatGPT ने जमानत अर्जी की खारिज, इस हाई कोर्ट ने की पहल

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हत्या के मामले में जमानत अर्जी पर फैसले में चैटजीपीटी का उपयोग कर न्यायिक प्रणाली में नई पहल की।
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 देश में पहली बार ChatGPT ने जमानत अर्जी की खारिज, इस हाई कोर्ट ने की पहल

High Court used ChatGPT:  पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हत्या के मामले में जमानत अर्जी पर फैसले में चैटजीपीटी का उपयोग कर न्यायिक प्रणाली में नई पहल की।

जस्टिस अनूप चितकारा ने फैसले में इसके टेक्स्ट जनरेटर के जवाब का भी उल्लेख किया।

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस चैटजीपीटी का उपयोग दुनिया भर की न्यायिक प्रणालियों में वकीलों के लिए जानकारी का विश्लेषण करने के लिए किया जा रहा है।

जस्टिस चितकारा लुधियाना एक अभियुक्त की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।

लुधियाना के शिमलापुरी थाने में जून, 2020 में याची और उसके कुछ साथियों के हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। 

जस्टिस चितकारा ने अपने आदेश में कहा कि जब याचिकाकर्ता और उसके अन्य साथियों ने घृणित तरीके से हमला किया तब मरने वाला निहत्था था।

जज ने कहा कि इस कारण अभियुक्त जमानत की रियायत के लायक नहीं। मौत देना अपने आप में क्रूर है, लेकिन अगर क्रूरता मौत का कारण बनती है, तो स्थिति बदल जाती है। 

जब क्रूरतापूर्ण तरीके से शारीरिक हमला किया जाता है, तो जमानत के पैरामीटर भी बदल जाते हैं। 

जस्टिस चितकारा ने इसके बाद दुनिया भर के दृष्टिकोण का और आकलन करने के लिए चैटजीपीटी का सहारा लिया। 

पूछा कि जब हमलावरों ने क्रूरता से हमला किया तो जमानत पर न्यायशास्त्र क्या कहता है?

 इस पर चैटजीपीटी ने जवाब दिया कि आम तौर पर जिन हमलावरों पर क्रूरता से जुड़े एक हिंसक अपराध का आरोप लगाया जाता है, जैसे कि हत्या, उग्र हमला, या यातना, समुदाय के लिए खतरा ।

ऐसे मामलों में जज जमानत देने के लिए कम इच्छुक हो सकते हैं या अदालत सार्वजनिक सुरक्षा के जोखिम को रोकने के लिए बहुत अधिक जमानत राशि निर्धारित कर सकती है।

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