15 अगस्त को आजादी दिवस नहीं मनाता , वजह जानकर रह जाएंगे हैरान
सालों की गुलामी के बाद 15 अगस्त, 1947 को भारत को आजादी मिली थी। इस साल भारत गर्व से अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। लेकिन इस आजादी के लिए ना जाने कितनी मांओ की कोख सुनी हो गई और कितनी महिलाओं ने अपनी मांग के सिंदूर को खो दिया था। लाखों लोगों के बलिदान के बाद भारत को आजादी मिली।
इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हो गया था लेकिन क्या आप जानते है कि एक गांव ऐसा था जहां के लोगों को आजाद होने के बाद भी आजादी नसीब नहीं हुई थी। पंजाब के गुरदासपुर की चार तहसीलों में एक शकरगढ़ नाम गांव को आजादी के दो दिन बाद तक पाकिस्तान के अधीन रहना पड़ा था।
17 अगस्त को आजादी दिवस मानता है ये गांव
15 अगस्त, 1947 को आजादी मिले के बाद जब पूरा भारत आजादी का जश्न माना रहा था उस वक्त जिला गुरदासपुर के शकरगढ़ के लोग पाकिस्तन में अपनी आजादी का इंतजार कर रहे थे। आजादी मिलने के बाद शकरगढ़ को पाकिस्तान में रखा गया और पठानकोट तहसील (मौजूदा समय में जिला) सहित बाकी हिस्सा भारत में घोषित किया गया।
आजादी के दो दिन बाद 17 अगस्त को इस जानकारी को सार्वजनिक किया गया। जिसके बाद जिला गुरदासपुर में मौजूद मुस्लिम लोगों को सही सलामत पाकिस्तान पहुंचाने का फैसला लिया गया। लोग सुरक्षित अपने लोगों के पास जा सके इसलिए गांव पनियाड़ में दो महीने रिफ्यूजी कैंप लगाया गया था। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु भी इस कैंप में पहुंचे थे।
जनगणना के आधार पर हुआ बंटवारा
भारत-पाक बंटवारा जनगणना के आधार पर किया गया था। 1941 में रेडक्लिफ कमीशन बनाया गया जिसके अध्यक्ष ब्रिटिश बैरिस्टर सिरिल रेडक्लिफ थे। बंटवारे के दौरान गुरदासपुर में चार तहसील गुरदासपुर, बटाला, पठानकोट और शकरगढ़ शामिल थी। और गुरदासपुर में मुस्लमानों की आबादी 56.4 फीसद थी। जिसकी वजह से गुरदासपुर को पाकिस्तान में शामिल किया गया था।
15 अगस्त को आजादी मिलने के दो दिन बाद यानि 17 अगस्त को गुरदासपुर जिले को भारत मे शामिल करने का फैसला लिया गया था। अगर गुरदासपुर को भारत में शामिल नहीं किया जाता है हो सकता था कि जम्मू कश्मीर भी भारत के हिस्से नहीं आता।