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Shimla Mirch kheti : शिमला मिर्च की खेती भर सकती है आपकी जेब, लागत से 4 गुना ज्यादा है मुनाफा, वर्ष में इतनी बार कर सकते हैं खेती, जानें सभी डिटेल्स

भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश के किसान मुनाफा देने वाली फसलों की खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा रहे है। बता दें करीब 55 से 60 प्रतिशत जनसंख्या खेती पर निर्भर है। बहुत से किसान अलग अलग प्रकार की खेती करके लाखों-करोड़ों रुपये कमा रहे हैं।
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Shimla Mirch kheti : शिमला मिर्च की खेती भर सकती है आपकी जेब, लागत से 4 गुना ज्यादा है मुनाफा, वर्ष में इतनी बार कर सकते हैं खेती, जानें सभी डिटेल्स

Shimla Mirch kheti : भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश के किसान मुनाफा देने वाली फसलों की खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा रहे है। बता दें करीब 55 से 60 प्रतिशत जनसंख्या खेती पर निर्भर है। बहुत से किसान अलग अलग प्रकार की खेती करके लाखों-करोड़ों रुपये कमा रहे हैं।

इसी बीच हम आपको शिमला मिर्च की खेती के बारे में बताने जा रहे हैं जिसको करके आप अधिक मुनाफा कमा सकते है।बता दें शिमला मिर्च एक ऐसी सब्जी है जो हमेशा डिमांड में रहती है। वहीं पिछले कुछ समय से  इसकी और अधिक डिमांड बढ़ गई है। चाइनीज व्यंजन शिमला मिर्च के बिना अधूरा है। 

इसके अलावा लोग शिमला मिर्च को सलाद के रूप में भी खाना पसंद करते हैं। यह विटामिन सी, ए और बीटा कैरोटीन से भरपूर होता है। शिमला मिर्च की बढ़ती मांग को देखते हुए यह किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है। देश के वैज्ञानिक शिमला मिर्च की उन्नत किस्में विकसित कर रहे हैं ताकि किसानों को अधिक लाभ मिल सके।

ज्यादातर राज्यों के किसान करते हैं इसकी खेती 
 
बता दें शिमला मिर्च की खेती ज्यादातर हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक  रराज्यों में की जाती है। इन राज्यों में शिमला मिर्च की खेती सफलतापूर्वक की जाती है। इसके अलावा किसान अब पूरे भारत में इसकी खेती करने लगे हैं। 
 
शिमला मिर्च की उन्नत किस्में

बम्बई (लाल शिमला मिर्च)- इस किस्म की शिमला मिर्च जल्दी तैयार हो जाती है। इसके पौधे लम्बे और मजबूत होते हैं जबकि शाखाएँ फैली हुई होती हैं। यह किस्म छायादार स्थानों में अच्छी तरह से उगती है। शुरुआत में इस मिर्च का रंग गहरा हरा होता है, लेकिन पकने के बाद इसका रंग लाल हो जाता है। इसकी खासियत है कि यह जल्दी खराब नहीं होता।

पीली शिमला मिर्च 

शिमला मिर्च की यह किस्म ठंडी जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ती है। इसके फलों का रंग पकने के बाद पीला हो जाता है और इसका वजन लगभग 150 ग्राम होता है। यह किस्म रोग जल्दी नहीं पकड़ती है और इस किस्म को ग्रीनहाउस और खुले मैदान दोनों में विकसित किया जा सकता है।

अर्का गौरव 

इस किस्म के शिमला मिर्च के पत्ते पीले और हरे रंग के होते हैं और फल का गूदा गाढ़ा होता है। एक फल का औसत वजन 130-150 ग्राम तक होता है। पकने के बाद फल का रंग नारंगी या हल्का पीला हो जाता है। यह किस्म 150 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 16 टन होता है।

येलो वंडर

इस किस्म के शिमला मिर्च के पौधे मध्यम ऊंचाई के और पत्ते चौड़े होते हैं। इसके फल गहरे हरे रंग के होते हैं, जिन पर 3-4 उभार होते हैं। औसत उपज क्षमता 120-140 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

सोलन हाईब्रिड 2

यह अधिक उपज देने वाली संकर किस्म है, जिसके फल 60 से 65 दिनों में तैयार हो जाते हैं। इसके पौधे लम्बे और फल चौकोर होते हैं। यह किस्म सड़न रोग एवं जीवाणु जनित रोग से सुरक्षित है। औसत उपज क्षमता 325-375 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

कैलिफोर्निया वंडर 

शिमला मिर्च के इस किस्म के पौधे मध्यम ऊंचाई के होते हैं। यह किस्म बहुत लोकप्रिय है और अच्छी उपज देती है। इसके फल गहरे हरे और चमकीले होते हैं। फल का छिलका मोटा होता है। फसल 75 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसत उपज क्षमता 125-150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।

इसकी खेती खुले मैदान और पॉलीहाउस दोनों जगह की जा सकती है। चिकनी दोमट मिट्टी इसके लिए अच्छी मानी जाती है। इसके अलावा बलुई दोमट मिट्टी में भी अच्छी मात्रा में खाद और सही समय पर सिंचाई कर शिमला मिर्च की खेती की जा सकती है। ध्यान रहे कि खेत में पानी जमा न हो.

खेती तैयार होने में लगता है इतना समय 

क्यारियां बनाकर इसकी खेती की जाती है तो जमीन की सतह से ऊपर उठी हुई शिमला मिर्च की खेती के लिए समतल क्यारियां बेहतर मानी जाती हैं। आमतौर पर शिमला मिर्च की फसल 65-70 दिनों के बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है, लेकिन कुछ किस्मों को तैयार होने में 90 से 120 दिन लग सकते हैं।

बता दें शिमला मिर्च के भाव किस्म के आधार पर तय होते हैं। 10 ग्राम बीज 2200 से 3500 रुपये तक के होते हैं। इस खेती को आप साल में 3 बार कर सकते है।  

शिमला मिर्च की खेती करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
 
शिमला मिर्च (Shimla mirch) के पौधों की रोपाई से पहले खेत की अच्छे से 5 से 6 बार जुताई करें।

जुताई के पहले खेत में सड़ी हुई गोबर की खाद को अच्छी तरह से मिला लें।

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