Story of Thokiya Daku: गांव का सबसे ज्यादा पढ़ा-लिखा लड़का जो बनंना चाहता था डॉक्टर, फिर अचानक हुआ कुछ ऐसा की बन गया ठोकिया डाकू, जानिए पूरी कहानी
Story of Thokiya Daku: जीवन में कब क्या घट जाएं और कब क्या हो जाएं किसी को कुछ नहीं पता। इसलिए इस बात को ध्यान में रखते हुए आज हम आपको एक ऐसे लड़के की कहानी बताता हूँ जो अपने पूरे गांव में सबसे होशियार और पढ़ा- लिखा था और डॉक्टर बनना चाहता था। लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था की एक दिन अचानक जीवन में कुछ ऐसा हुआ की सब कुछ बदल गया और बन गया बीहड़ का सबसे खूंखार डाकू ठोकिया। अब आपके मन में इसके पीछे की कहानी जानने की इच्छा होगी आइये बताता हूँ। ये कहानी है उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के लोखरिया गांव के एक साधारण लड़के की डाकू बनने की।
घर में उस दिन वो अकेला था। वो अपने किताबों में खोया हुआ था। तभी अचानक उसकी छोटी बहन उसके पास आई। ये वो रात थी जब उस लड़के के साथ ही नहीं उत्तर प्रदेश के इतिहास में भी काफी कुछ बदलने वाला था।
यूपी में ऐसा होने वाला था जिसकी कल्पना उस वक्त नहीं की जा सकती थी। 'भाई मैं मां बनने वाली हूं', मेरे साथ रेप हुआ है'। कई दिनों से जो जख्म उस लड़की ने अपने अंदर छुपाए थे, उस रात उसने भाई के सामने उन्हें बताकर अपना मन हल्का किया। वो रो रही थी, लेकिन उसके भाई के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था।
क्या है डाकू ठोकिया की कहानी
ये कहानी है उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के लोखरिया गांव के एक साधारण लड़के की डाकू बनने की। डाकू ठोकिया जिसने ऐसी दहशत फैलाई कि सालों तक उसके नाम से लोग कांपने लगे थे। गांव का सबसे पढ़ा-लिखा, समझदार लड़का अंबिका पटेल जो एक दिन डॉक्टर बनके अपने परिवार और गांव का नाम रौशन करना चाहता था, वो ठोकिया बना। अंबिका पटेल शुरू से ही पढ़ाई में काफी अच्छा था। वो चाहता था कि वो डॉक्टर बनकर गांव वालों की जान बचाएगा, अपने इलाके के लिए काम करेगा, लेकिन इसी लड़के ने बाद में जाकर न जाने कितनी ही हत्याएं कर डाली।
बहन के रेप ने बनाया खूंखार डाकू
साल था 199्2। जिस रात अंबिका की बहन ने उसे अपने रेप के बारे में बताया वो रात इस भाई के लिए बेहद काली रात थी, जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी। अगले दिन जैसे ही सुबह हुई अंबिका उस लड़के के पास पहुंचा जिसने इसकी बहन का रेप किया था।
अंबिका ने उसे अपनी बहन से शादी करने के लिए कहा, लेकिन वो नहीं माना। उल्टा उसने अंबिका की बहन के चरित्र पर आरोप लगाने शुरू कर दिए। ये लड़का डाकू ओमप्रकाश का भतीजा था।
ओमप्रकाश का उस इलाके में खासा दबदबा था पूरा परिवार इस शादी के खिलाफ था। पुलिस ने भी अंबिका की मदद नहीं की और केस लिखने से मना कर दिया।
डॉक्टर बनना था अंबिका का सपना
गांव में पंचायत बिठाई गई, लेकिन उस पंचायत में भी दोनों भाई बहनों को ही कटघरे में खड़ा कर दिया गया। भरी पंचायत में इस लड़के की बहन पर कीचड़ उछाला गया। लोग इसके परिवार के बारे में बातें करने लगे।
लड़के के परिवार ने शादी से साफ इनकार कर दिया। गांव में जो कुछ हुआ अंबिका उसे सुनता रहा और फिर अगले ही दिन इसने उस लड़के की हत्या कर दी। कल तक डॉक्टर बनने का सपना देखने वाला ये लड़का अब एक कातिल बन चुका था।
ददुआ गैंग में ली शरण
हत्या के बाद अंबिका गांव छोड़कर जंगलों में भाग गया। जिस लड़के की हत्या हुई थी उसका चाचा ओमप्रकाश अंबिका को मारना चाहता था और उसको तलाश रहा था। अंबिका ने बीहड़ में जाकर उस वक्त के मशहूर डकैत ददुआ की शरण ली।
उस वक्त ददुआ उत्तर प्रदेश का बेहद खूंखार डाकू हुआ करता था। ददुआ की मर्जी के बिना उस इलाके में एक पत्ता भी नहीं हिलता था। अंबिका पटेल की उम्र 17-18 साल थी। ददुआ ने उसे अपने गैंग में शामिल कर लिया और फिर अंबिका पटेल बन गया डाकू।
बन गया ठोकिया डाकू
जवान खून, मन में नफरत और बदले की भावना इसके दिमाग में इस कदर हावी थी कि इसके बाद इसने अपने हथियारों के बल पर आतंक फैलाना शुरू कर दिया। किडनैपिंग, लूटपाट, के अलावा ये हत्याओं को भी अंजाम देने लगा।
अंबिका कई बार अपने गांव भी आता था। एक बार गांव के ही एक शख्स कलुआ निषाद ने अंबिका की जानकारी पुलिस को दे दी, बस इसके तुरंत बाद ही अंबिका ने कलुआ निषाद की हत्या कर दी।
अंबिका ने ये ऐलान कर दिया कि अगर किसी ने उसके खिलाफ आवाज उठाई तो वो उसे ठोक देगा। बस इसी ठोक देगा के ऐलान के बाद अंबिका का नाम ठोकिया मशहूर हो गया। जिसने भी उसकी मुखबिरी की उसने उसे ठोक दिया।
परिवार के 6 लोगों को जिंदा जलाया
ठोकिया को अब ओमप्रकाश की तलाश थी। एक बार उसे पता चला कि ओम प्रकाश अपने घर आया हुआ है। ये ठोकिया अपने गैंग के 40 लोगों के साथ उसके घर पहुंचा। घर को बाहर से बंद किया और उस घर में आग लगा दी।
न सिर्फ वो घर बल्कि आसपास के घर भी जलने लगे। ओमप्रकाश के परिवार के 6 लोग इस आग में जिंदा जलकर मर गए। इस घटना ने पूरे गांव में ठोकिया की दहशत बढ़ा दी। हालांकि ओमप्रकाश यहां से बच निकला।
पुलिस डरती थी ठोकिया से
ठोकिया का आतंक इतना था कि पुलिस वाले भी उससे घबराते थे। ये पुलिस चोकी में जाकर पुलिकर्मियों को मौत दे देता था। पैसे लूटना, अपहरण, वसूली ये सब ये खुलकर कर रहा था। ददुआ का पूरा साथ ठोकिया को था।
2000 के शुरुआती दिनों में ददुआ और ठोकिया ने मिलकर यूपी पुलिस की नींद हराम की हुई थी। राजनीतिक पार्टियों का भी इन डाकुओं को पूरा सहयोग था। दरअसल ददुआ और ठोकिया का अपने इलाके में खासा नियंत्रण था और चुनावी सीटें किसे देनी हैं ये दोनों ही तय करते थे।
6 पुलिस वालों की ली जान
साल 2007 में एक पुलिस एनकाउंटर में ददुआ को मार गिराया गया। ददुआ की मौत से ठोकिया बौखला गया। वो ददुआ की मौत का बदला लेना चाहता था। उम्र थी महज 36 साल।
ददुआ का एनकाउंटर करके 16 पुलिस के जवानों की टीम वापस लौट रही थी। ठोकिया और उसके गैंग ने मिलकर उन पुलिसवालों की गाड़ी पर हमला कर दिया। इतनी ज्यादा फायरिंग की कि इस हमले में 6 पुलिसकर्मी मारे गए जबकि 7 जख्मी हो गए।
2008 में पुलिस ने मारा ठोकिया को
अब पुलिस का एकमात्र लक्ष्य था ठोकिया का अंत। पुलिस को पता था कि ठोकिया बेहद समझदार है और आसानी से हत्थे नहीं चढ़ेगा। करीब एक साल बाद पुलिस को खबर मिली कि ठोकिया अपने साथियों के साथ चित्रकूट में किसी घटना को अंजाम देने वाला है।
पुलिस की एक बड़ी टीम वहां पहुंच गई। ठोकिया गैंग का पुलिस से आमना-सामना हुआ। करीब 7 घंटे तक चले इस ऑपरेशन में पुलिस ने ठोकिया को मार गिराया।
बात ये भी सामने आई कि ठोकिया पुलिस की गोली से नहीं बल्कि अपने ही एक साथी डाकू ज्ञान सिंह की गोली का निशाना बना।