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इसे कहते हैं निस्वार्थ प्रेम... रब ने ऐसी बनाई जोड़ी की रशिया से वृंदावन आई यूना को मिल गया जीवनसाथी

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इसे कहते हैं निस्वार्थ प्रेम... रब ने ऐसी बनाई जोड़ी की रशिया से वृंदावन आई यूना को मिल गया जीवनसाथी

Mathura News: कहते हैं प्यार अँधा होता है कुछ ऐसा ही मामला वृन्दावन में देखने को मिला है। दर्शन के लिए  रशिया से वृंदावन आई यूना को अपना जीवन साथी मिल गया। जीवनसाथी भी ऐसा की जिसको पढ़ना भी नहीं आता। यूना ने निस्वार्थ भाव से उसे अपना पति स्वीकार कर लिया। वैसे आपको बता दें की इस तरह का ये पहला मामला नहीं हैं क्योकि धर्म नगरी वृंदावन करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक है, यहां सिर्फ़ देश से ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व से लाखों श्रद्धालु आते हैं. यहां आकर भगवान की सेवा करते हैं. ऐसी ही एक भक्त रशिया से वृंदावन आई तो दर्शन करने थी, लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि वह यहीं की होकर रह गई। 


यहाँ आते ही राजकरण से हुई थी मुलाकात 

रशियन युवती को यहां एक लड़के से प्यार हो गया. दोनों एक-दूसरे को इस कदर पसंद आए कि बात शादी तक पहुंच गई. सात समंदर पार से कृष्ण की भक्ति यूना को वृंदावन खींच लाई.  यहां उसकी मुलाकात 20 साल से रह रहे राजकरण से हुई, जो वृंदावन में रह कर अपने गुरु की आज्ञा से गायों की सेवा कर रहा है.

दोनों ने हिंदू रीति रिवाज से शादी की

यूना और राजकरण ने  हिंदू रीति रिवाज से शादी की। उसके बाद यूना उनके साथ गौ सेवा में शामिल हो गई और राजकरण के साथ मिल कर गौ सेवा करने लगी. धीरे-धीरे साथ में सेवा करते-करते इन दोनों में प्यार हुआ और दोनों ने अप्रैल 2023 में हिंदू रीति रिवाज के साथ दिल्ली में शादी कर ली. अब दोनों दिन में गौ सेवा करते हैं और शाम को वृंदावन के इस्कॉन मंदिर के पास ही लोगों को धार्मिक पुस्तकें और चंदन लगाकर अपना पेट पालते हैं. दोनों की जोड़ी देख कर स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वाले श्रद्धालु भी अचंभे में पड़ जाते हैं.


 यूना ने अपना ली  भारतीय संस्कृति

सबसे ख़ास बात यह है की राजकरण ने किसी भी तरह की कोई शिक्षा प्राप्त नहीं की है और यूना ठहरी रशिया से जिसे हिंदी तक नहीं आती है. लेकिन, फिर भी प्यार की भाषा ऐसी कि दोनों एक दूसरे की हर बात समझ जाते हैं. वैसे तो दोनों की उम्र में भी ज़्यादा फ़र्क़ नहीं है. यूना की उम्र 36 साल है, तो वहीं राजकरण 35 साल के हैं. यूना ने शादी के बाद से पूरी तरह से ही भारतीय संस्कृति को अपना लिया है. गले में मंगलसूत्र भी पहनती है और मांग में सिंदूर भी लगाती है, यही नहीं पैरों में पायल भी पहनती है। 

निष्कर्ष 

रशिया की यूना ने वृंदावन में अपने जीवनसाथी को पाने के लिए रब का आभार व्यक्त किया है। इस जीवनसाथी की खोज में उन्होंने बहुत समय बिताया और अनेक लोगों से मिले, लेकिन उन्हें सही जीवनसाथी नहीं मिला। अंततः, उन्हें वृंदावन में एक ऐसे व्यक्ति से मिला जो उनके लिए एक सही मिलान है। इस सफलता में उन्हें रब की कृपा माननी पड़ी और वे आभारी हैं। इस जोड़ी का मिलन उनके जीवन के नए पन्नों की शुरुआत है और उनके लिए यह एक खास और प्यार भरा सफलता है।

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