Haryana News: PM मोदी का हरियाणा को झटका, यमुनानगर का 800 MW पावर प्लांट झारखंड भेजने की तैयारी
Haryana News: हरियाणा को PM मोदी का झटका: यमुनानगर के 800 MW पावर प्लांट को झारखंड भेजने की तैयारी हो रही है। हरियाणा सरकार व राष्ट्रीय स्तर पर हलचल शुरू हो गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा को बड़ा झटका दिया है। यमुनानगर में लगने वाले 800 मेगावाट कोल पावर प्लांट को पीएम ने रोक लगा दी है और सुझाव दिया है कि इसे पिटहेड (झारखंड) में स्थापित किया जाए। इस फैसले के प्रभाव से हरियाणा सरकार में हलचल शुरू हो गई है। सरकार ने पीएम के सामने प्रेजेंटेशन तैयार की है, जिसमें बताया गया है कि प्लांट को झारखंड ले जाने से हर साल सरकार को 180 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
हरियाणा सरकार के सूत्रों के अनुसार, पिछले सप्ताह की केंद्र-राज्य मीटिंग में एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया गया था। इसके बाद, दोनों राज्यों के बिजली विभागों ने एक सहमति पर पहुंच की है कि हरियाणा की प्रेजेंटेशन को प्रधानमंत्री के सामने रखा जाएगा, जिसमें यमुनानगर में कोल पावर प्लांट स्थापित करने के पक्ष में बात की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा इस विषय पर कोई निर्णय लिया जाएगा, जो संभवतः उक्त प्रेजेंटेशन के बाद होगा।
हरियाणा की प्रेजेंटेशन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने दो मुख्य बिंदुओं का उल्लेख किया गया है। इसमें बताया गया है कि यमुनानगर में प्लांट लगाने से हर साल 180 करोड़ रुपए से अधिक की बचत हो सकती है। इसके साथ ही, यह परियोजना सरकार को संपूर्ण जीवनकाल में 4,500 करोड़ रुपए की बचत करवा सकती है।
हरियाणा का एक मुख्य तर्क यह भी है कि पिथेट पर स्थापित संयंत्र और राज्य में स्थापित संयंत्र के बीच बिजली की पहुंच लागत में पर्याप्त अंतर होगा। सरकार ने सेंट्रल पावर रिसर्च इंस्टीट्यूट (CPRI) की एक रिपोर्ट के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है, जिसमें बताया गया है कि भूमि की लागत के मामले में राज्य के संयंत्र सस्ते होते हैं जबकि पिथेट पर स्थापित संयंत्र।
हरियाणा बिजली विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यमुनानगर को पानीपत के स्थान पर चुना गया है क्योंकि यह दिल्ली के प्रभावशाली क्षेत्र (NCR) में स्थित है। इसके साथ ही, राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने दिल्ली में प्रदूषण के कारण अवधारण कार्यक्रमों को समय-समय पर बंद करने का आदेश दिया है। यमुनानगर में संयंत्र स्थापित करने से काफी बचत होगी, क्योंकि वहां पर जमीन और पानी की उपलब्धता अन्य स्थानों की तुलना में अधिक है। इसके साथ ही, यह नया प्लांट मूल रूप से एक ब्राउनफील्ड विस्तार इकाई है।