बिजली सब्सिडी को लेकर मोदी सरकार ने और सख्त किए नियम, बिजली बिल पर ऐसे पड़ेगा असर
केन्द्र की मोदी सरकार ने बिजली सब्सिडी के नियम को और अधिक सख्त बना दिया है। पावर मिनिस्ट्री ने एक नई अधिसूचना जारी कर इस बारे में जानकारी दी है। इसी महीने 10 जुलाई को CNBC-आवाज़ ने इस पर एक रिपोर्ट की थी, जिस पर अब सरकार की मुहर लग चुकी है।
सब्सिडी बिल के मुकाबले अगर राज्यों से मिलने वाली सब्सिडी कम हुई तो कार्रवाई होगी। अधिसूचना में बताया गया है कि सब्सिडी लेने वाल हर बिजली उपभोक्ता के अकाउंट का ब्यौरा देना होगा।
सरकार की ओर से कहा गया है कि बिजली खरीदने में होने वाले पूरे खर्च को ध्यान में रखते हुए टैरिफ तय किया जाएगा। पावर मिनिस्ट्री के मुताबिक, पावर सेक्टर में निवेश बढ़ाने के लिए ये कदम उठाया गया है।
दरअसल, केंद्र सरकार रिवेंप्ड डिस्ट्रिब्यूशन सेक्टर स्कीम के तहत राज्यों को प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने, पावर डिस्ट्रिब्यूशन इंफ्रास्ट्रक्चर दुरुस्त करने जैसे खर्च के लिए ग्रांट यानि आर्थिक मदद देती है। सूत्रों के मुताबिक हाल ही में पावर मिनिस्टर आर के सिंह ने एक अहम बैठक बुलाई थी जिसमें उन्होंने निर्देश दिए थे कि स्कीम के तहत ग्रांट तभी दिए जाएं, जब ये 5 शर्तें राज्य सरकारें की ओर से पूरी करने की हामी भरी जाएं।
रिपोर्ट सौंपने के आदेश
इसी महीने पावर मिनिस्टर आरके सिंह ने 15 दिनों के भीतर REC और PFC को रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है। इस रिपोर्ट में दोनों कंपनियों को 2022-23 के लिए ये सर्टिफाई करना है कि जिन उपभोक्ताओं को सब्सिडी वाली बिजली दी जा रही है। वो उनके खाते की पहचान की जा चुकी है और उसके हिसाब से राज्य सरकार के नाम सब्सिडी का बिल बनाया जा रहा है।
ये हैं मकसद
सूत्र बताते हैं कि इस पूरी कवायद के पीछे लॉन्ग टर्म में मकसद ये है कि पावर सेक्टर में रिफॉर्म लाया जाए। पावर जेनरेशन से लेकर पावर डिस्ट्रिब्यूशन तक नुकसान ना हो ताकि नए निवेश इस सेक्टर में आ सकें। क्योंकि सेमीकंडक्टर जैसे प्रोजेक्ट के लिए आने वाले दिनों में बड़ी मात्रा में बिजली की जरूरत होगी। इसके लिए उत्पादन भी बढ़ाना होगा और ये तभी संभव है जब पूरे सेक्टर में रिफॉर्म हो।