Success Story: कभी पटरियों की मरम्मत करते थे प्रह्लाद मीणा, जानिए उनके IPS बनने की पूरी कहानी
Success Story: कहावत है मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। इसको साबित कर दिखााया है प्रहलाद मीणा ने आईएएस बनकर। उनका बचपन गरीबी में बीता, लेकिन उन्होंने संसाधनों की कमी को कभी अपनी जिंदगी में आड़े नहीं आने दिया। वे कभी पटरियों की मरम्मत करते थ। लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत के बल पर आईपीएस बनने को मुकाम हासिल किया।
प्रह्लाद के पिता शिवराज मीना के पास सिर्फ दो बीघा जमीन थी, जिससे घर चलाना मुश्किल था। ऐसे पिता बटाई पर खेती करते थे। उसमें पत्नी प्रेमी देवी व पांच बेटियां और बेटा प्रह्लाद मीणा काम करते थे। प्रह्लाद सहाय मीणा कहते हैं कि वे स्कूल की छुट्टी होने के बाद सीधे ही खेत में चले जाते थे। वहां पर शाम तक काम करने के बाद घर लौटते थे। पिता के साथ मवेशी भी चराया करते थे।
एक इंटरव्यू में प्रहलाद ने बताया कि मैंने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई सरकारी स्कूल से की है. 10वीं कक्षा का परिणाम आया मुझे स्कूल में प्रथम स्थान मिला. मेरा भी मन था और कई लोगों ने कहा कि मुझे साइंस विषय लेना चाहिए. इस पर मैं इंजीनियर बनने का सपना देखता था, लेकिन परिवार वालों की स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह मुझे बाहर पढ़ा सके.
मेरे गांव के आसपास विज्ञान विषय का कोई स्कूल नहीं था. मैंने इन सब चीजों को भुलाकर वापस 11वीं में अपने सरकारी स्कूल में एडमिशन ले लिया था और मानविकी विषयों के साथ पढ़ाई की. 12वीं में भी मैं अपने कक्षा में स्कूल में प्रथम स्थान पर आया, लेकिन अब मेरी प्राथमिकता बदल गई थी अब मुझे सबसे पहले नौकरी चाहिए थी, क्योंकि परिवार की इतनी अच्छी आर्थिक दशा नहीं थी कि वह मुझे जयपुर में किराए पर कमरा दिला सकें.
प्रह्लाद ने बताया कि बारहवीं कक्षा में था तब हमारे गांव से एक लड़के का चयन भारतीय रेलवे में ग्रुप डी (गैंगमैन) में हुआ था. उस समय मैंने भी अपना लक्ष्य गैंगमैन बनने का बना लिया और तैयारी करने लगा. बीए द्वितीय वर्ष 2008 में मेरा भारतीय रेलवे में भुवनेश्वर बोर्ड से गैंगमैन के पद पर चयन हो गया था.
मैंने कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित होने वाली संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा दी और उसमें मुझे रेलवे मंत्रालय में सहायक अनुभाग अधिकारी के पद पर पदस्थापन मिला. अब दिल्ली से मैं घर की सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहा था और उस के साथ ही मैंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी भी आरंभ कर दी.
रामगढ़ पचवारा तहसील के आभानेरी गांव निवासी प्रह्लाद ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 951वीं रैंक (जनरल) हासिल की है. मीणा को 2013 तथा 2014 में मुख्य परीक्षा देने का अवसर मिला. 2015 में प्रिलिमनरी परीक्षा में सफलता नहीं मिली तो उस साल वैकल्पिक विषय हिंदी साहित्य को अच्छे से तैयार किया तथा 2016 के प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त की और वह वर्तमान में भारतीय पुलिस सेवा- IPS में ओडिशा कैडर के 2017 बैच के अधिकारी हैं.
प्रह्लाद ने बताया कि मेरी इच्छा थी कि बस एक बार सिविल सेवा परीक्षा पास ही करनी है और दुनिया को दिखाना है कि मैं भी यह कर सकता हूं. मेरे जैसे जो ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले बच्चों को मेरी सफलता से आत्मविशवास मिलेगा कि वो भी सिविल सर्विस में जाकर अधिकारी बन सकते हैं.