IAS Success Story : बचपन में ही चली गई आंखों की रोशनी, फिर इस तरह की तैयारी, बनीं गई देश की पहली नेत्रहीन आईएएस अफसर प्रांजल पाटिल
IAS Pranjal Patil Success Story : UPSC की परीक्षा को दुनिया की सबसे टफ परीक्षाओं में से एक माना जाता है। इसे पास करने का सपना तो हर कोई देखता है लेकिन इसे पास केवल चुनिंदा लोग ही कर पाते हैं। क्योकि इसे पास करने के लिए दिन रात मेहनत करनी पड़ती है।
इसके साथ ही लगभग हर विषय का ज्ञान होना भी जरूरी है। अगर कोई यूपीएससी परीक्षा को पास कर लेता है तो आसपास के इलाके में उसके चर्चे शुरू हो जाते हैं। साथ ही बता दें इनमें सफल होने वाले उम्मीदवारों को उनकी रैंक और वरीयता के आधार पर IAS, IPS, IFS आदि पद अलॉट किए जाते हैं।
वहीं इसी बीच आज हम आपको एक ऐसी ही आईएएस महिला की सफलता की कहानी बताने जा रहे है जो जीवन की कई बाधाओं को पार कर भारत की पहली नेत्रहीन IAS अधिकारी बनीं है। बता दें यह है आईएएस प्रांजल पाटिल हैं।
6 वर्ष की उम्र में चली गई थी रोशनी
बता दें मूल रूप से महाराष्ट्र के उल्हासनगर की रहने वाली प्रांजल पाटिल के साथ बचपन में एक ऐसा हादसा हुआ, जिससे उनकी जिंदगी ने एक नया मोड़ ले लिया। दरअसल जब वह 6 साल की थी तो उनकी एक आंख खराब हो गई थी। इस हादसे से उभरने से पहले उनकी दूसरी आंख की रोशनी भी चली गई थी। हालांकि, उनके माता-पिता ने प्रांजल को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया और न ही कभी उनकी पढ़ाई पर रोक लगी।
तैयारी के लिए किया इस चीज का उपयोग
वहीं प्रांजल ने आईएएस की तैयारी के लिए कभी कोई कोचिंग नहीं ली।उन्होंने परीक्षा की तैयारी के लिए एक विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग किया था, जो उन्हें जोर से किताबें पढ़कर सुनाता था। अपनी आंखों के न होने के बावजूद उन्होंने अपनी कान की सुनने की क्षमता का लाभ उठा इस परीक्षा को क्रैक कर डाला था।
दो बार दी थी यूपीएससी की परीक्षा
बता दें कि प्रांजल ने दो बार यूपीएससी की परीक्षा दी थी। पहली बार साल 2016 में और दूसरी बार साल 2017 में भी परीक्षा दी थी। साल 2016 में उनकी रैंक 744 थी लेकिन अपने दूसरे अटेंप्ट में उन्होंने 124 वीं रैंक हासिल की और उन्हें 2018 में एर्नाकुलम, केरल में सहायक कलेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया था।
उन्हें इस आधार पर भारतीय रेलवे लेखा सेवा में नौकरी देने से मना कर दिया गया था क्योंकि उन्हें दिखाई नहीं देता था। वहीं बता दें प्रांजल पाटिल इस समय तिरुवनंतपुरम की सब-कलेक्टर हैं और उन्हें केरल का कार्यभार सौंपा गया है।