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IAS Success Story : बेहद संघर्ष भरी रही इस IAS अफसर की जिंदगी, सड़कों पर करते थे चूड़ी बेचने का काम, ऐसे पाई यूपीएससी में 287वीं रैंक

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IAS Success Story of Topper Ramesh Gholap: हमारे देश में ऐसे कई लोग हैं, जो बेहद मुश्किल दौर से गुजर कर एक बड़ा मुकाम हासिल कर चुके हैं, जिनकी कहानियां आज भी लोगों का प्रेरित कर रही हैं और वो भी उनकी तरह अपने जीवन कुछ करने और कुछ बनने का सपना देखते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई इंसान अपने इरादों को मजबूत बनाए और जीवन में अपने मुकाम को हासिल करने के लिए दिल और जान लगा दे तो उसके इरादों को भगवान भी नहीं रोक सकता। बड़ी से बड़ी परेशानियां इंसान के जज्बे को हरा नहीं सकती। आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं।

Success Story of IAS Topper Ramesh Gholap

जिसने एक बेहद कठोर और लंबा समय काट कर अपना मुकाम हासिल किया और आज वो शख्स आईएएस अफसर ( IAS Officer ) बनकर जीवन बिता रहे हैं और लोग उनके जज्बों को दुनियां सलाम करती है। आज हम आपको आईएआस अफसर रमेश घोलप ( IAS Success Story of Topper Ramesh Gholap ) की सक्सेस स्टोरी के बारे में बताने जा रहे हैं। उनकी स्टोरी आज के समय में उन युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत बन गए हैं, जो सिविल सर्विसेज ( Civil Services ) में भर्ती होना चाहते हैं। रमेश घोलप ( IAS Topper Ramesh Gholap ) को बचपन में बाएं पैर में पोलियो हो गया था।

बाएं पैर में पोलियो होने के बाद भी मां के साछ चूड़ियां बेचीं / IAS Success Story

परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि रमेश को अपनी मां के साथ सड़कों पर चूड़ियां तक बेचनी पड़ी थीं, लेकिन रमेश ने हर मुश्किल का सामना करते हुए उनको मात दी और आज वो एक सफल आईएएस अफसर ( IAS Officer Ramesh Gholap ) बन चुके हैं।

अपने एक इंटरव्यू के दौरान रमेश घोलप ने बताया था कि उनके पिता की एक छोटी सी साईकिल की दुकान थी। इनके परिवार में चार लोग थे, लेकिन पिता की शराब पीने की आदत ने इसके परिवार को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया। ज्यादा शराब पीने की वजह से उनके पिता को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा और परिवार की सारी जिम्मेदारी उनकी मां पर आ गई, जिसके बाद मां ने सड़कों पर चूड़ियां बेचना शुरू कर दिया।

12वीं क्लास में सिर से उठ गया था बाप का साया

वहीं, रमेश के बाएं पैर में पोलियो हो गया था, लेकिन हालात ऐसे थे कि रमेश को भी मां और भाई के साथ चूड़ियां बेचनी पड़ती थीं। आईएएस अफसर रमेश घोलप ( IAS Officer Ramesh Gholap ) ने अपने इंटरव्यू में आगे बताया कि गांव में पढाई पूरी करने के बाद वे बड़े स्कूल में दाखिला लेने के लिए अपने चाचा के गांव बरसी चले गए। साल 2005 में जब ने 12वीं क्लाम में पढ़ रहे थे, तब उनके पिता का इलाज के दौरान निधन हो गया। चाचा के गांव से अपने घर आने में उस सयम बस से 7 रुपये लगा करते थे, लेकिन विकलांग होने की वजह से उनका केवल 2 रुपये किराया लगता था, लेकिन वक्त की मार तो देखो रमेश के पास उस समय 2 रुपये भी नहीं थे। उन्होंने बताया कि पड़ोसियों की मदद से किसी तरह वे अपने घर पहुंचे थे।

88.5% मार्क्स से पास की थी 12वीं क्लास / IAS Success Story

जानकारी के लिए बता दें कि रमेश ने 12वीं क्लास में करीबन 88.5% मार्क्स पाए थे, जिसके बाद उन्होंने शिक्षा में एक डिप्लोमा कर लिया और गांव के ही एक विद्यालय में टीचर बन गए। डिप्लोमा करने के साथ ही रमेश ने BA की डिग्री भी ले ली।

टीचर बनकर रमेश अपने परिवार का खर्चा चला रहे थे, लेकिन उनका लक्ष्य कुछ और ही था। रमेश ने आगे बताया कि उन्होंने 6 महीने के लिए नौकरी छोड़ दी और मन से पढाई करके यूपीएससी ( Union Public Service Commission – UPSC ) का एग्जाम दिया, लेकिन साल 2010 में उन्हें सफलता नहीं मिली। मां ने गांव वालों से कुछ पैसे उधार लिए और रमेश पुणे जाकर सिविल सर्विसेज ( Civil Services ) के लिए पढाई करने लगे।

गांव वालों के सामने खाई थी कुछ बनने की कसम

IAS Success Story of Topper Ramesh Gholap : रमेश ने अपने गांव वालों से कसम ली थी कि जब तक वो एक बड़े अफसर नहीं बन जाते तब तक गांव वालों को अपनी शक्ल नहीं दिखाएंगे।आखिरकार लंबे इंतजार के बाद वो दिन आ ही गया और साल 2012 में रमेश घोलप ( IAS Success Story of Topper Ramesh Gholap ) की मेहनत रंग लायी और रमेश ने यूपीएससी ( UPSC Exam ) की परीक्षा 287वीं रैंक हासिल की।

इस तरह बिना किसी कोचिंग का सहारा लिए, निरक्षर मां-बाप का बेटा बन गया आईएएस अफसर ( IAS Officer Ramesh Gholap )। बता दें कि फ़िलहाल रमेश घोलप झारखण्ड के खूंटी जिले में बतौर एसडीएम ( Sub Divisional Magistrate – SDM ) के पद पर तैनात हैं।

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