IAS Success Story : इस महिला IAS ने Tina Dabi की तरह रचाई दूसरी शादी, बेहद रोचक है इनकी कहानी

IAS Renu Raj Story: आईएएस टीना डाबी ने अपने पति आईएएस अतहर से तलाक ले लिया था। इसके बाद टीना ने आईएएस प्रदीप से दुसरी शादी रचाई थी। आईएएस टीना डाबी की तरह आईएएस रेणू राज ने भी दुसरी शादी की थी। इन दोनों आईएएस की लव स्टोरी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी। इनकी स्टोरीज़ काफी प्रेरणादायक भी है।
आईएएस की सक्सेस स्टोरीज वास्तव में प्रेरणादायक हैं। धैर्य और दृढ़ संकल्प की ऐसी कहानियों को पढ़ना हमें अपने चुने हुए क्षेत्र में सफलता की खोज में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकता है।
ऐसी ही एक कहानी है आईएएस टॉपर डॉ। रेनू राज की। 2014 की सिविल सेवा परीक्षा में डॉ. रेनू ने दूसरी रैंक हासिल की थी। यह सपना उनके हाउस सर्जरी के दिनों में और मजबूत हो गया जब वह समाज के अलग अलग तबके के लोगों से मिलीं।
वह कहती है कि वह इस अवधि के दौरान जीवन की कठोर वास्तविकताओं से अवगत थीं। रेनू उन भाग्यशाली उम्मीदवारों में से एक थीं, जो अपने पहले प्रयास में ही IAS परीक्षा को पास कर सकीं।
रेनू राज का बचपन से ही सपना था IAS बनना
रेनू केरल के कोट्टायम की रहने वाली हैं। रेनू के पिता सरकारी नौकरी से रिटायर हैं। रेनू ने सेंट टेरेसा के उच्च माध्यमिक विद्यालय चंगनास्सेरी (कोट्टायम) में पढ़ाई की
और बाद में कोट्टायम के सरकारी मेडिकल कॉलेज में अपनी मेडिकल डिग्री हासिल की। आईएएस अधिकारी बनना रेनू के लिए बचपन का सपना था। रेनू राज अभी एर्नाकुलम की कलेक्टर हैं।
रेनू राज़ ने की दो शादिया
टीना डाबी ही नहीं इस महिला IAS ने भी करी हैं दूसरी शादी, बड़ी ही प्रेरणादायक हैं इनकी कहानी रेनू राज ने श्रीराम वेंकटरमन से शादी की है।
श्रीराम वेंकटरमन (Sriram Venkitaraman) की यह पहली शादी है जबकि रेनू राज (Renu Raj) की दूसरी शादी है। रेनू राज के पति श्रीराम वेंकटरमन साल 2012 में आईएएस बने थे।
रेनू राज साल 2014 में आईएएस बनीं थीं। आपको बता दें कि IAS टीना डाबी ने भी कुछ ही महीने पहले अपनी दूसरी शादी की थी। उनके पति भी एक आईएएस अधिकारी हैं।
रेनू राज पेशे से थीं एक डॉक्टर
वह उस समय 27 वर्ष की थीं और केरल के कोल्लम जिले के कल्लुवथुक्कल में एएसआई अस्पताल में एक डॉक्टर के रूप में काम कर रही थीं, जब उन्होंने इस अद्भुत आईएएस सफलता की कहानी बनाई।
रेनू राज (Renu Raj) ने इंटरव्यू में बताया था, ‘मेरे मन में ख्याल आया कि एक डॉक्टर होने के नाते वह 50 या 100 मरीजों की मदद कर सकती थीं,
लेकिन एक सिविल सेवा अधिकारी के नाते उसके एक फैसले से हजारों लोगों को लाभ मिलेगा। इसके बाद मैंने यूपीएससी का एग्जाम देने का फैसला किया।’