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Virtual Humans: अब इंसानों के अकेलेपन को खत्म करेगा वर्चुअल दोस्त, जानें कैसे करेगा मदद

बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो बढ़ती उम्र के साथ अकेलेपन की समस्या से निपटने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में वह दिन दूर नहीं, जब हमारे सबसे अच्छे मित्रों में कम्प्यूटर जनित इंसान भी शामिल होंगे।
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अब इंसानों के अकेलेपन को खत्म करेगा वर्चुअल दोस्त, जानें कैसे करेगा मदद

Virtual Humans: बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो बढ़ती उम्र के साथ अकेलेपन की समस्या से निपटने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में वह दिन दूर नहीं, जब हमारे सबसे अच्छे मित्रों में कम्प्यूटर जनित इंसान भी शामिल होंगे।

वर्चुअल मनुष्यों की जरूरत क्यों...

विकसित होती प्रौद्योगिकी के बीच हमारी बदलती जनसांख्यिकी हमें इन वर्चुअल मनुष्यों की ओर ले जा सकती है. एशिया, यूरोप और उत्तर अमेरिका में कई ऐसे विकसित देश हैं, जिनके समाज की औसत आयु तेजी से बढ़ रही है. उदाहरण के लिए, 2066 तक ऑस्ट्रेलिया की कुल आबादी के करीब पांचवें हिस्से की उम्र 65 वर्ष या उससे अधिक हो जाने का अनुमान है.

समस्या को कम करने में मदद

वर्चुअल इंसान इस समस्या को कम करने में मदद कर सकता है. वर्चुअल इंसान कम्प्यूटर जनित मनुष्य होता है, जिसे आपके घर की बैठक समेत भौतिक दुनिया में रखा जा सकता है. यह एक अनूठा साथी है, क्योंकि यह भौतिक दुनिया में सहजता से घुलमिल जाता है. आपको यह कंप्यूटर-जनित मानव एक असल मनुष्य की तरह दिखाई देता है और यह वास्तविक एवं वर्चुअल दुनिया के बीच की सीमाओं को तोड़ रहा है.

असली मनुष्य की तरह है वर्चुअल इंसान

यह वर्चुअल इंसान असली मनुष्य की तरह ही चल सकता है, बैठ सकता है या लेट सकता है और लोगों से बात कर सकता है, लेकिन यह चीजों को उठा नहीं सकता, यह चीजों को इधर-उधर नहीं ले जा सकता और न ही चाय बना सकता है. यह प्रौद्योगिकी अभी उतनी विकसित नहीं हुई है.

बुजुर्गों के अकेलेपन का समाधान

रोबोट को भी बुजुर्गों के अकेलेपन का समाधान माना जाता है, लेकिन वर्चुअल मनुष्य रोबोट की तुलना में किफायती हैं. इन्हें कोई भी आकार दिया जा सकता है, कोई भी शक्ल दी जाती है और व्यवहार भी किसी की भी तरह तय किया जा सकता है, जबकि रोबोट के लिए यह संभव नहीं है.

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