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दिल्लीवासियों की हुई बल्ले बल्ले! Toll Tax को लेकर Nitin Gadkari ने कही ये बात

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दिल्लीवासियों की हुई बल्ले बल्ले! Toll Tax को लेकर Nitin Gadkari ने कही ये बात

Nitin Gadkari News: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की तरफ से समय-समय पर आम जनता के लिए कई बड़े ऐलान किए जाते रहे हैं, जिससे टोल भरने (Toll Tax News) वालों को राहत मिलती रही है. इसके साथ ही हाइवे पर चलने वालों को भी समय-समय पर राहत मिलती रही है.

अब केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि द्वारका एक्सप्रेसवे (dwarka express way) का काम अगले तीन से चार महीनों में पूरा हो जाएगा. इस फैसले से दिल्ली वासियों को काफी राहत मिलेगी. इसके साथ ही टोल पर भी बड़ी जानकारी सामने आ रही है. 

एलिवेटेड अर्बन एक्सप्रेसवे से मिलेगा फायदा


नितिन गडकरी ने आगे कहा है कि देश के इस पहले ‘एलिवेटेड अर्बन एक्सप्रेसवे’ से दिल्ली-गुरुग्राम के बीच यातायात दबाव कम होगा. गडकरी ने कहा कि एक्सप्रेसवे का काम चार ‘पैकेज’ में पूरा होगा. द्वारका एक्सप्रेसवे पर टोल संग्रह का काम पूरी तरह से स्वचालित होगा और पूरी परियोजना दक्ष परिवहन प्रणाली (ITC) से युक्त होगी.

कुल लंबाई 29 किलोमीटर
द्वारका एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 29 किलोमीटर है. इसमें 18.9 किलोमीटर हरियाणा में जबकि शेष 10.1 किलोमीटर दिल्ली में है. एक्सप्रेसवे राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-8 के पास दिल्‍ली के महिपालपुर में शिव मूर्ति के पास से शुरू होगा. फिर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या आठ पर गुरुग्राम खेड़की-दौला गांव के पास बने टोल प्लाजा के पास खत्म होगा. यह द्वारका की तरफ से द्वारका एक्सप्रेसवे के जरिये इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिये संपर्क सुविधा प्रदान करेगा.


खर्च हुए हैं 9000 करोड़ रुपये
आपको बता दें द्वारका एक्सप्रेस वे को बनाने में करीब 9000 करोड़ रुपये से ज्यादा रुपये खर्च हुए हैं. इसको 4 हिस्सों में बांटा गया है. यह एक्सप्रेसवे दिल्ली और हरियाणा में आता है, जिसमें से हरियाणा का काम 99 फीसदी पूरा हो चुका है. वहीं, दिल्ली का काम 93 फीसदी पूरा हो चुका है. 

देश का है पहला 
माना जा रहा है कि हरियाणा के हिस्से को जुलाई में जनता के लिए खोला जा सकता है. वहीं, दिल्ली वाला हिस्सा 2024 से पहले ही ओपन किया जा सकता है. ये देश का पहला एलिवेटेड अर्बन एक्सप्रेस वे है जिसमें 20 लाख एमटी स्टील का इस्तेमाल किया गया है जो कि एफिल टावर के निर्माण की तुलना में 30 गुना अधिक है.

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